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  शिमशोन की मृत्यु के बाद लोग करने लगे 􏰀जो उनके अनुसार सही था।􏰀
  उन्होंने आराधना के लिए अपनी वस्तु भी बनाई।
 मीका नाम के पुरुष को उसकी माँ में जो चाँदी दिया था उससे उसने मूर्ति बनाई।
 उसने अपने बेटे का संस्कार करके उसे अपना पुरोहित ठहरा लिया􏰆 जबकि परमेश्वर ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि कोई पुरुष पुरोहित कैसे बनेगा।
 41 न््यायियोंं 􏰄􏰄􏰃􏰃􏰂􏰂􏰄􏰄􏰆􏰆􏰁􏰁
और उसने गर्व से उस मूर्ति को अपने घर के देवस्थान में रखा।
कुछ ही समय बाद􏰅 बैतलहम से एक लेवी मीका के यहाँ आया।
 लेवी वे लोग थे जिन्हें मूसा ने पुरोहित बनने को कहा था।



























































































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