Page 64 - EC_MAGAZINE
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तू हार  यूँ मान लेता है ??

            या है वो, जो तुझे कछ नया करने से रोक लेता है ?
                                   ु
            याद है वो ज़माना जो तूने  वजेता बनक काटा है?
                                                          े
                   फर  यूँ अब हाथ पर हाथ रखे बैठा है ?

                                तू मायूस  यू है?

                           ऐसा तो अ र होता है ।

        तेरे पास खोने क  लए है ही  या, जो तू  दन भर रोता है ?
                           े

       यो ा तब तक हारा  आ नह  होता है, जब तक वो  ज़ दा
                                     होता है

                हर बार कवल  जतना ज़ री नह  होता है।
                           े

                       तू उठ, खड़ा हो मेरे यार,  यूँ क

          कभी-कभी हार ना मानने वाला भी  वजेता होता है ।



                                ~ Ayushi Patel
                                   (19EC038)

                                                                          ख़ुद क  तलाश कर

                                                          मं जल से आगे बढ़ कर मं जल क  तलाश कर,
                                                             मल जाये जो द रया तो समंदर तलाश कर


                                                              हर शीशा टट जाता है प र क  चोट से,
                                                                           ू
                                                              प र ही टट जाये वो शीशा तलाश कर
                                                                           ू


                                                             सजद  से तेरे  या  आ स दयाँ गुजर गय ,
                                                               नया तेरी बदल द वो सजदा तलाश कर
                                                                                   े

                                                              ईमान तेरा टट गया राहजन क हाथ  से,
                                                                            ू
                                                                                                े
                                                              ईमान तेरा बचा ले वो रहबर तलाश कर

                                                            हर श स जल रहा है अदावत क  आग मै,
                                                             इस आग को बूज़ा द वो पानी तलाश कर
                                                                                     े

                                                                 करे संवार ऊट पे अपने गुलाम को,
                                                                               ँ
                                                           पैदल ही खुद चले जो वो आका तलाश कर.




                                                                            ~ Dhrumil shah
                                                                                19ec067


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