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इंसान क बा संरचना एवं
आ त रक प रवतन क जनक ह नारी
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ह नर तू कस भूल गया
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हर नर क माता ह नारी ।
नर – नारी म भद करना
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ह सवनाश क तयारी
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र नर अब तू ही बता
या तरी सफलता क पीछ
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नह ह कोई नारी ।
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सब ब च का उ र हा म ह इसिलए
ह उ क ं ठा म अब पौ षी क बारी ।
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िव ालय क तुत ई – पि का म अनक िव ािथय ारा
अपनी रचना शली, संकलन, संपादन कला का का िविश प रचय
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दान िकया गया । यह िव ालय क मु य बोध िब द ‘आओं जीना
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सीख’ क अ तगत ब च क गूढ़ ान को उ ािटत करन क यास
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का िह सा रहा ह । िजसक उपयोग स व भिव यपथ क ओर अ सर
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ह ग । इस मु य बोध िब द क अ तगत सुबह समय स जागना एवं
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अ ययन क िलए घर पर िविश थान िनधा रत करन क साथ-साथ
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तीन ि थर मानिसकता को थािपत करन वाल पाठ्य म
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