Page 174 - Udaan 2019-2021 Final
P. 174
ृ
े
लॉकडाउन: क त क लए वरदान
अनु का म ा, क ा -9/10
े
े
े
े
सुबह उठकर यूज़ चलाओ तो कवल कोरोना वायरस क बढ़ते संकट क बार म चचा होती थी। इन खबर को
दख अंदर का ख तथा भय बढ़ जाता था । कोरोना महामारी ने पूरे व म तबाही मचा द थी। इसक े
े
े
े
सं मण को कम करने क लए लगभग सभी दश म लॉकडाउन लागू था। इससे आ थ क व ा को भारी
े
नुकसान आ है। परंतु जस कार एक स क क दो पहलू होते ह , जैसे हर काले बादल म एक चांद क
े
परत होती है, उसी कार इस लॉकडाउन से भी कछ लाभ आ है।
ु
ृ
ृ
स दय से मानव ने क त को अनेक कार से षत कया है। क त माँ अपने ख-दद को अपने आंचल
े
े
म समेट मदद क लए पुकारती रही परंतु उसक पुकार अनसुनी कर द जाती है। जो पेड़ नः वाथ ता से
जीने क लए सब कछ दते है उ ही को मनु य नदयता से मार दता है। वन क न तथा बड़ पैमाने पर शकार
ु
े
े
े
े
े
होने क कारण जानवर क आबाद घट रही है।
े
ृ
परंतु अब जब मानव अपने घर म बंद ह ,तब ख, नराशा तथा गुलामी क ओढ़नी खोल, क त माँ फर से
अपना मु कराता चेहरा नया को दखा रही है। सड़क प रवहन क कमी क कारण वायु षण म घटाव
े
ु
ै
आया है। फ याँ बंद थी इस लए जल और हवा दोन साफ थी । जंगली जानवर भी कई जगह नभ य
वचरण कर रहे थे।
े
वे नस म लॉकडाउन क चलते कनाल म एक डॉ फन लगभग साठ साल म पहली बार नज़र आयी ।
े
े
े
अंटाक टका क ऊपर का ओज़ोन छद अब भर रहा है। ज़हरीली गैस क उ सज न म कमी आई। भारत क े
े
े
कई जगह म हमालय पव त मु कराते नज़र आ रहे ह मानो वष से नया को दखने क लए उ सुक हो रहे
ु
थे। न दयाँ साफ हो कर और हँसती खल खलाती अपना सफर तय कर रही ह । वे प ी जनक आवाज़
ृ
तक सुनाई न दती, आकाश म चहकते नज़र आ रहे ह । अतः इस लॉकडाउन ने क त को आज़ाद कर दया
े
है।
कोरोना महामारी का यह मु कल समय चला जाएगा। शवमंगल स ह 'सुमन' क क वता 'चलना हमारा
काम है' कहती है क सुख - ख जीवन क अंश ह और कावट को पार कर जीवन क राह पर हम चलते
े
े
रहना है। हम सबको मलकर कोरोना माहमारी से लड़ना है । आशा तथा आ म व ास हो तो हम अव य
सफल होग । पर हम यह याद रखना चा हए क हमारे कसी भी काय से क त का नुकसान न हो।
ृ