Page 258 - Sanidhya 2025
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म ं लिलपटे े ज़ख्म
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वेो हींर हीी तेो ही जि�सनां माझा �ीतेनांं जिसखंंयं,
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शेब्दीो� स यद्ध रुकेता नहींं�, ठौोकांर खंंकांर भी जि�र स चीलनांं जिसखंंयं।
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केभां सवादा स शेल झुकेता नहींं�। हीर चीनांौतेी मा उसनां नांयं रंस्तं जिदेखंंयं,
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केछो ज़ाख्म ऐस हींोता हीं, ं �ो पुहीली बंर मा हीी �ीते गाँए,
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जोो मारहींमा नहींं�, न्याय माागेता हीं। वे कांस समाझागाँ सघार्ष कांं संयं?
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संमाा पर जोब शेादिता कें बाता उठं, लोगाँ माोड़ ल माखं ,हीवेंए बदेल अपुनांं रूखं ,
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पुर तेमा नां बदेलो, रखंो अपुनां मानां कांं सखं।
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माकिन नहींं� इकेार दिकेया,
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पर मान के एके केोन न पछोा— उस हींर स तेमा नां डरो जि�सनां आ� जिगाँरंयं,
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“क्योा सचमाच हींर घााव केा इलाजो माौन हीं?” सत्यु कांो समाझाो—हींर नां नांयं आसमां ही जिदेखंंयं।
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नां हींर मांनांो, नां आत्मा-जिवेश्वंस खंोनांं,
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केॉन्स्बल खशेब कें वो वाणोंं यादा आई, भरोसं रखंो... जि�र स कांदेमा बढ़ंनांं।
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जोो दि�बटा मा नहींं�, दाशे कें धाड़ाकेन मा थं समााई।
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श्रीी कांष्णु नां अ�नां स कांहीी यही बंते,
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“संमाा पर लड़ाा नहींं� जोाताा चरखो� स शेोलो� के आगे, े हींर स नां घाबरंओ, बढ़ो सघार्ष कां संथा।
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रामाायणों पढ़ां नहींं� जोातां संमाा पर गेोलो� के आगे।“ �ल कांी जिचीतें छेोड़, कांमा पुर कांर जिवेश्वंस,
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�ो डटें रही रंही मा, वेहीी पुंए सच्चें जिवेस्तंर।
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केहींा ताके सहींगे हींमा, और केब ताके बहींलगे, े
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जोब जोवाब बारूदा मा दिमालताा हीं, ताो शेब्दी क्योा बदालगे? े ते�ंनां आए चींही,अधीरं जिघार चींही ,
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“जोस धारतां के घाोर केहींास केो केवल एके सरजो हींं हींर सकेताा हीं, ै तेमा डगाँमागाँंओ नांहीी�, बढ़ंओ अपुनांी रंही। े
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वस हींं, एटामा बमा स रक्षा — केवल एटामा बमा हींं केर सकेताा हीं।“ हींर तेो आईनांं ही, �ो खंदे स जिमालवेंतेी ही , ै
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छेपुी हुई शस्थिक्तयो� कांो चीपुचींपु �गाँंतेी ही।
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देजिनांयं भल कांही “ते हींर गाँयं”,
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य पल्कि�या गेजोतां हीं माल्कि�ष्क मा मार, े पुर मारं मानां कांही “ते आ� जि�र जिनांखंर गाँयं”।
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जोस चताावनं नहींं�, अनभाव हींो� गेहींर। रंस्तं खंदे बनांगाँं तेर चीलनां स, े
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शेायदा शेादिता कें पहींल भां ज़ारूरं हीं, ै नांई कांहींनांी जिलखंी �ंएगाँी जिगाँरनां–सभलनां स। े
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पर आत्मसम्माान कें रक्षा उसस भां ज़्यादाा ज़ारूरं हीं। हीर हींर एकां सबकां ही, हीर अश्री एकां माोतेी,
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�ो रोशनांी खंो� अधीर मा—वेहीी ही असली ज्योजिते।
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मा एके छोात्रा हूँ, मारं केलमा हीं�ं सहींं, तेो थामानांं नांहीी�,रुकांनांं नांहीी� ,
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पर मान मा सवालो� कें आधां हीं भारं। सघार्ष स घाबरंनांं नांहीी�।
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क्योा शेादिता वहींं हीं जोो समाझौता स आए, क्योो�नेजिकां हींर कांं वेरदेंनां वेहीी पुंएगाँं,
या वो जोो न्याय के बादा सिसर ऊँचा केर पाए? �ो जिगाँरकांर भी मास्करंएगाँं।
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वेो हींर हीी तेो ही जि�सनां माझा �ीतेनांं जिसखंंयं,
ठौोकांर खंंकांर भी जि�र स चीलनांं जिसखंंयं।
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�ीवेनां कां हीर माोड़ पुर जि�सनां हींर कांो अपुनांंयं,
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वेहीी तेो अन्त मा असली जिवे�तें कांहीलंयं।
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Gargi Singh
Anjali Yadav Class XII A
Class X C
CRPF PUBLIC SCHOOL,DWARKA CRPF PUBLIC SCHOOL,DWARKA

