Page 51 - pmay grah pravesham
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मरा मका ह मरा जहा
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इक सुहानी रौशनी, उजली सहर होने को ह।
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दो त , आबाद सपन का नगर होने को ह।
अपनी छत, अपने ह अब द वार दर ह गे यहां।
मुतमईन ह दल क अब अपना भी घर होने को ह।
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सबको चाहत ह क इक अपना ठकाना हो यहां।
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यानी अपना घर हो, अपना आिशयाना हो यहां।
िसलिसला न छोड़गे हम भी घर बनाने का।
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लाख ख़ौफ़तार हो ज़लज़ल क आने का।
मेर आँख सफ़र म रोशन ह।
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बेघर म भी वाब घर क ह।
सूनापन होता ह, आबाद कहाँ होते ह।
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सच तो ये ह क मक नो से मकां होते ह।
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आप सबक ह दुआओं क ये बरकत होगी।
बस बहत ज द हर इक सर पे यहां छत होगी।
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अब होगा दुआओं म असर अ छा लगेगा।
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लौटोगे थक मांद तो घर अ छा लगेगा।
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आप क बे सरो सामानी का,
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दुख हआ ख़ म बेमकानी का,
अपनी छत क वा ते अपने ठकाने क िलए,
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अब नह ं तरसेगा कोई आिशयाने क िलए।
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कामना दय से ह, आशाओं का गुलशन खले,
व न सब साकार ह , सबको ह घर आंगन िमले,
अपने ह से क ख़ुशी, अपना जहां सबको िमले,
पेट भर खाना सभी को, इक मकां सबको िमले।
संचालक अपर मु य सिचव एवं वकास आयु ,
धानमं ी आवास योजना म य दश शासन,
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वकास आयु त काया लय म. . पंचायत एवं ामीण वकास वभाग