Page 171 - Udaan 2019-2021 Final
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भ व य को प

             अ  ता  स ह 8/9

             अर  म  तुमन तो  स  कर  दया  क तुम ही मेर स   म  हो। म न कहा, मेर बड़ भाई क  म  तो बाहर रहत थ,  े
                                                                                                         े
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             पर मेरी  म  मेर कमर म ही रहती थी। मेर आईन म वह  ब कल मेर जैसी थी जब म नाचती ,वह भी नाचती जब म
                                                                  े

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                                                                                     े
                                                                                           े
             हंसती वह भी हंसती और जब म सोन जाती वह भी मेर कमर क   तरह  दखन वाल अपन कमर म सो जाती।
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                                                                                                े
                                                                                 े
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                                                                     े
             पहल तो म ब त  खी रहती , पताजी क जान क बाद दाद  मुझ घर स बाहर जान नह  दती। कहती थी  क
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             लड़ कया बाहर नह  जाती। म रोज अपन बड़ भाई को अपन जंगल स दखती जब वह खेलन और पढ़न जाता।
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             मुझ भी यही करना था, पर दाद  हमेशा मना कर दती।  मा भी उ ह कछ नह  बोलती, जब म 6 वष क   ई तब मा   ं
                                                                      ु
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                                                 ँ
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             न मुझ एक आईना  दया मेर हाथ म। वहा आईना थमा  दया,  जसम मुझ अपनी  म    मली। म उसस हमेशा
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                                                                                                      े


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                                                                       ं
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             कहती थी  क वह आईन क बाहर आ जाए पर वह नह  आती| मा न कहा था  क आईना दाद   को कभी ना
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                                                                                     े

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              दखाई द। एक  दन जब म अपन  म  स बात कर रही थी तब दाद  अचानक कमर म आ गई और उ ह न वह
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                                                                                                        े
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             आईना दखा तो उ ह न दखा म उस आईन स  बात कर रही   ,जो दाद  को  ब कल भी अ ा नह  लगा और दाद
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                                                                ं
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             न गु स म आकर वह आईना तोड़  दया | उस  दन म न पहली बार दाद  क  खलाफ आवाज उठाई उ ह न यह भी
                                                                           े
                                                                                                     े

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             कहा  क वह घर म अकल रह कर उस आईन स अगर बात करती  , तो
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                                                    े

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             इसस दाद  को  य  असु वधा हो रही ह और मा  न दाद  स कहा  क मेर भाई और मुझम कोई अंतर नह  ह ब त
                                                                          े
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                                                                                                       ै
                                                     ँ
             सारी बात कहत  ए उस  दन दाद  क  आंख खुल गई ब त दर तक दोन  झगड़त रह पर आ खर दाद  चुप हो ग  |

                                                               े
                                                                                  े
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             अगल  दन स मुझ भी बाहर जान क  आजाद   मल  गई और आईन क अंदर जो लड़क  मेरी  म  छपी  ई थी वह
                                                                                                ु
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             भी मेर साथ खुल आसमान क नीच मेर साथ खेलन लगी | आज भी म अपनी उस पुरानी  म  को उसक अंदर
                                                                                                      े
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                  े
              क   म  को याद करती  ।
                                  ं
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