Page 6 - Ray Millennia 2020_Neat
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                                                        ै
                                    चला जा रहा ह इस  ज दगी का सफर,

                                        और इस  ज दगी क  ज़ा नब ही,
                                      मौत स भी  मलना होगा एक  दन।
                                               े

                               लोग सुना ह सहम सहम स रहत ह आजकल
                                               ै
                                                       े
                                                                   े
                                                                          े
                                                               े

                                                                          ै
                                              य  क मौत का डर ह...
                                                    े            ु
                                  ले कन उस स तो  ब कल  मलना होगा!
                                           ै
                               ज़ दगी ह तो मौत भी एक  दन ज़ र आएगी,

                          सोचो ज़रा, ना होती जान तो  ह  कसम बस पाती?

                            ले कन जब यह  ज़ दगी का सफर मुक मल होगा,
                                                     े
                                    ज़ दगी जीन का मुकाम हा सल होगा,


                                         यह  ह अल वदा कहेगी जब,

                               तब हर ज़रा ज़रा तु हारी जुदाई म रोता होगा,
                                    ू                                          े
                         तु ह सुकन होगा,  य  क तुम हँस पाए थ मुसीबत  म,
                                                                                   े           े
                         तु ह फ़  होगा  क तुम ज़ र काम आए थ  कसी क,
                                                        े
                                             ब त  न तु ह चाहा था,
                                                                                 े                      े
                 और इस बात का इ  मनान भी होगा  क खुदा स नज़र  मला लोग,
                                                               े       े        े
                                     य  क  जनको पीछ छोड़ जा रह हो,
                                   े
                             उनक  दल  म कोई  शकवा या  गला नही होगा!
                                                         े             े   े    े   े
                                     तुम तो म हद  क एक छोट स बूट थ,
                            महका गए चमन को और रंग गए इस जमीन को।



                                     चलो माना सफर ब त लंबा ना था,
                                       े  े        े                 ं
                    तो  या बुढाप क बुझत  चराग का इतज़ार तु ह अब भी था?
                                                                      े       े       े
                                   हम तो अल वदा भी कह ग हँसत हँसत,
                                                           े
                                    य  क  ज़ दगी न इतना  दया  क बस
                                               े
                                        इसस  यादा हम गवारा न था!!
                                                                                  ीमती रीता कौल
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