Page 6 - Ray Millennia 2020_Neat
P. 6
4
ै
चला जा रहा ह इस ज दगी का सफर,
और इस ज दगी क ज़ा नब ही,
मौत स भी मलना होगा एक दन।
े
लोग सुना ह सहम सहम स रहत ह आजकल
ै
े
े
े
े
ै
य क मौत का डर ह...
े ु
ले कन उस स तो ब कल मलना होगा!
ै
ज़ दगी ह तो मौत भी एक दन ज़ र आएगी,
सोचो ज़रा, ना होती जान तो ह कसम बस पाती?
ले कन जब यह ज़ दगी का सफर मुक मल होगा,
े
ज़ दगी जीन का मुकाम हा सल होगा,
यह ह अल वदा कहेगी जब,
तब हर ज़रा ज़रा तु हारी जुदाई म रोता होगा,
ू े
तु ह सुकन होगा, य क तुम हँस पाए थ मुसीबत म,
े े
तु ह फ़ होगा क तुम ज़ र काम आए थ कसी क,
े
ब त न तु ह चाहा था,
े े
और इस बात का इ मनान भी होगा क खुदा स नज़र मला लोग,
े े े
य क जनको पीछ छोड़ जा रह हो,
े
उनक दल म कोई शकवा या गला नही होगा!
े े े े े
तुम तो म हद क एक छोट स बूट थ,
महका गए चमन को और रंग गए इस जमीन को।
चलो माना सफर ब त लंबा ना था,
े े े ं
तो या बुढाप क बुझत चराग का इतज़ार तु ह अब भी था?
े े े
हम तो अल वदा भी कह ग हँसत हँसत,
े
य क ज़ दगी न इतना दया क बस
े
इसस यादा हम गवारा न था!!
ीमती रीता कौल