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शाऊल ने राजपद को अपनाया और
साथ ही साथ समस्याओं को भी।
हे राजा खबरें सच हैं। पलिश्ती हमारे विरुद्ध इकट्ठे हो रहे हैं।
समुद्र के तीर के बालू के किनकों के समान पलिश्ती सेना इकट्ठे
हो रहे हैं। और उनके साथ हमने रथों को गिना है।
हे राजा तुम्हें कुछ करना होगा। पुरुषों ने डर के कारण
छिपना शुरु कर दिया है। कुछ तो गाद और गिलगाल की ओर
भागने के लिए यरदन नदी पार कर चुक हैं।
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लेकिन हे राजा
परन्तु शमूएल ने उसके आने तक इंतज़ार
करने को कहा। इस बड़ी सेना से लड़ने से पहले वह यहाँ नहीं है और हमें
कार्य करना अवश्य है।
हमें परमेश्वर के सम्मुख एक बलिदान
चढ़ाना चाहिए।
परन्तु हे राजा
तुम सही कह रहे हो। तू प्रभु का एक याजक नहीं है
एक राजा को अवश्य निर्णय और शमूएल ने सात दिनों तक
लेना चाहिए। मैं आगे इंतजार करने को कहा है। कभी कभी मामलों
जाऊँगा और बलिदान को तुम्हें खुद अपने
चढ़ाऊँगा। हाथों में लेना होगा।
राजा शाऊल ने आज्ञा मानने के बजाय
भय के साथ प्रतिक्रिया की।
शमूएल
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