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"" उसने स्वप्न म� क्या देखा, िक एक सीढ़ी पृथ्वी
पर खड़ी है, और उसका िसरा स्वगर् तक प�ँचा है;
और परमेश् वर के दूत उस पर से चढ़ते-उतरते ह�।..." स्वगर् और पृथ्वी के बीच एक सीढ़ी ...
परमे�र और मनुष्य के बीच ...
नतनएल!!!
हम उससे िमले है िजसका वणर्न िजसके बारे म� भिवष्य��ा�
मूसा ने �वस्था म� िकया है!
ने कहा है!
मसीहा? क्या तू सच बोल रहा है?
नतनएल, तुझे मेरे साथ आना है।
आ और उससे उसका नाम यीशु है! उससे बात कर
िमल! यीशु नासरी है!!! और देख!
नासरत! इतने छोटे
शहर से! अब, यहाँ एक सच्चा
इ�ाएली आता है!
और रोमी चौकी
इतने समीप है...
और तू मेरे बारे
एक सच्चा और
ईमानदार ���! म� इतना क ै से
जानता है?
वहाँ क े लोग� की
बात� म�ने सुनी ...
क्या कोई अच्छी वस्तु भी
नासरत से िनकल सकती है?
म�ने तुझे देखा
था!
िफ�लप्पुस के बुलाने से पहले,
म�ने देखा िक तू अंजीर के �ाथर्ना और ध्यान लगाने और �वस्था
पेड़ के नीचे बैठा है! का अध्ययन करने के �लए एक सुखद
स्थान और ..
यूहन्ना 1: 45-48
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