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मैं इस शहर में हत्या और हिंसा के कारण
                             हे प्रभु  मैं तेरे
                           सामने सहायता के लिए            रोता हूँ  लेकिन कोई बचाने नहीं आता है।
                          कब तक दोहाई देता रहूँगा
                            मैं तेरे समीप व्यर्थ            क्या मुझे हमेशा अपने चारों ओर
                          चिल्लाता हूँ  कोई उत्तर          इस पाप और दुःख को देखना पड़ेगा
                             नहीं आता है।

























                                             मैंने हर जगह देखा
                                            है मुझे अत्याचार
                                            और रिश्वतखोरी
                                             दिखाई देती है।












































                                                                व्यवस्था लागू नहीं है  और अदालतों में कोई न्याय
                                                               नहीं है। दुष्टों ने संख्या में धर्मियों को पछाड़ दिया।
     10 10                                    हबक्कूक
                                              हबक्कूक
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