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और धिक्कार है
                यरूशलेम के लिए   हिंसा
                और अपराध का शहर।  अपने अभिमान
                             में वह परमेश्वर की
                              आवाज़ भी नहीं
                                सुनती।
                                      वह सभी सुधारों से
                                       इंकार कर देती है।




                                              उसके याजक परमेश्वर
                                               की व्यवस्था की
                                            अनाज्ञाकारिता करके मंदिर
                                               को अपवित्र करते हैं।



















                                                   लेकिन प्रभु शहर
                                                  के भीतर है  और वह
                                                   कोई कुटिलता नहीं
                                                     करता है।
                                                  लेकिन कोई
                                                भी ध्यान नहीं देता
                                                दुष्ट जन को लज्जा
                                                  नहीं आती।










                    मैं ने यह ठाना है कि पृथ्वी
                   के राज्य राज्य के लोगों को मैं
                   इकट्ठा करूँ  और उन पर अपने
                   क्रोध और रोष की आग पूरी
                     रीति से भड़काऊँ।
                        मेरी ईर्ष्या की
                       आग से सारी पृथ्वी
                       भस्म हो जाएगी।
















     22 22                                      सपन्याह
                                                सपन्याह
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