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इसक े तुरन्त बाद।
हे गु�! तेरे चेले संस्का�रक �प से अपने हाथ�
यह उनको अशु� बनाता
को नह� धोते जैसा की भोजन से पूवर् करने की है! क्या तू जानता है िक यशायाह ने
आवश्यकता होती है! तेरे बारे म� भिवष्य�ाणी की थी!
कुछ भी जो मनुष्य के अंदर जाता
उसने कहा, "ये लोग अपने मुँह
है उसे अशु� नह� करता!
से तो मेरा आदर करते ह� ..." जो बाहर आता है
वह उसे अशु�
"...परन्तु उनके �दय मुझसे कई करता है!
मील दूर ह�!"
तुम सोचते हो िक तुम्हारी परम्पराएँ क्या?
परमे�र की अपनी आज्ञा� इस बात का कोई
के िजतनी महत्वपूणर् ह�! िसर-पैर नह� है!
म� नह� समझता िक
उन्ह�ने इसे पसंद
िकया है।
वे अंधे अगुवे ह�।
यिद कोई अंधा एक अंधे को लेकर
चले, तो दोन� ही ग�े म� िगर�गे।
हे यीशु, जरा बताओ िक इस
सब का क्या मतलब है?
हे पतरस, क्या तू
नह� समझता?
भोजन अंदर जाता है और बाहर िनकल
जाता है, परन्तु वह तुमको अशु� नह�
करता।
जो तुमको अशु� करता है बुरे िवचार, लालच, धोखा, परन्तु हाथ� को धोए
वह तुम्हारे �दय से िनकलने ईष्यार्... उस �कार की चीज�! िबना खाना नह�।
वाली बात� ह�!
म�ी 15:1-20; मरक ु स 7:1-23; यशायाह 29:13 15 15