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तुमने मुझे च�का
िदया! िकसी को भी यहाँ आए यह उसने तुम्हारे
�लए बनाई है।
�ए एक स�ाह हो गया। म� जानता �ँ, मुझे क्षमा
कर�। वह खेिदत थी िक वह
म� तुम्हारे �लए सुसैना की आ नह� सकी।
रोटी लेकर आया �ँ।
वह अच्छी
रोटी बनाती है।
जो कुछ भी म� छूती �ँ
म� उसे पर दोष
नह� लगाती। क े वल मेरे आसपास होना वह अशु� हो जाता है!
ही थका देता है! हर कुस�! मेरे कपड़े! वह
कटोरा िजससे म� खाती �ँ!
िफर कोई भी मेरे पास क्य�
आना चाहेगा? गलती से मेरी केवल एक छुअन तुमको
सूयर् के ढलने तक संस्का�रक �प से
अशु� कर देती है!
बारह वषर्।
तुम्हारी तरह म�
हे मेरे िम�,
भी एक इ�ानी �ँ। म� परमे�र से मुझे ठीक
यहाँ आओ...
करने के �लए �ाथर्ना करती �ँ...
...परन्तु परमे�र के ही िनयम मुझे
मंिदर जाने से भी रोकते
ह�!
नह�! द ू र
रहो!
आराधना करने म� अयोग्य होने के बारह वषर्। िकसी के भी �ारा छुए जाने
26 26 से बचने के बारह वषर्।