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P. 18

प्यार बच्िों,
                 े

                                                 ,
                                                 ै
                  गुरु क ु म्हार सशर् क ुं भ ह गढी गढी काढ़ खोट।
                                                                     े
                  अंतर हार् सहार द, बाहर बाह चोट ।।
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                                                        े
           युगरष्िा िति कवि कबीर की िाश्िि पंक्तियां आज की बिलिी पररक्स्र्तियों में 'गुरु
                                                                  ं
           और शिष्य 'क े सबस पवित्र संबंध को अपन गिीर प्रेरक अर्थ में संबलिा प्रिान कर
                                                              े
                                   े
                  ै
           रही ह।कोरोना काल में विद्यालय बंि होने की क्स्र्ति में आधुतनक िकनीक क े द्िारा
                                                                                                े
                                    े
           सिी अध्यापक अपन वप्रय छात्रों से अधधक आत्मीयिा से जुड़िे जा रह है ।शिक्षण
           कायथ में और अधधक कायथ क ु िलिा से ,न ई िकनीक को सीखिे हए "अंिर हार् सहार
                                                                                       ु
           िें अर्ाथि अपन छात्रों क े अन्द्िमथन से जुड़कर ,इस महामारी में उनक मनोबल को
                                                                                              े
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                 ं
           बनाए रखा।हर संिि मिि का िरोसा दिया । शिक्षण कायथ िल्लीनिा से पूरा ककया ।
           प्यार बच्िों ,समय सिा एक सा नहीं रहिा ।हर विपरीि पररक्स्र्ति जीिन में निीन
                े
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           संिािनाओ क े द्िार खोलिी ह।हार ना मानन का संबल प्रिान करिी ह।
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                                                                                           ै
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           मानिीयिा का सुिर पाठ िी पढािी है ।                  विद्यालय        आपको विशिन्द्न विर्यों में
                               ं
           सुयोग्य बनािे हए एक संिेिनिील ,सुहृिय मानि बनने की आधार िूशम िी प्रिान
                              ु
                             े
                                        ं
           करिे है क्जसस एक सुसस्क ृ ि ,सुसभ्य समाज का तनमाथण हो सक                    े   ।याि रखखए हम
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           किल ।सहानुिूति ,प्रेम ,िया ,कऱूणा ,सहयोग ,सत्य आदि जीिन मूल्यों क े सुमनों से
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           अपनी जीिन          बधगया को सूँिार सकिे ह। मानिीय गुणों को पािे हए शिक्षा क े
                                                                                                ु
                                                          ै
           िास्िविक उद्िश्य को प्राप्ि कर सकिे ह।
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           'आरोहण ' पत्रत्रका का द्वििीय e अक आपक सम्मुख है                 ।
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                                                   ं
           विद्यालय पत्रत्रका ने छात्रों
           की रिनात्मक,सृजनात्मक            प्रतििा को उजागर करने का सार्थक मंि प्रिान ककया ह।
                                                                                                            ै
                                      ं
           समसमातयक समस्याओ क े प्रति उनकी गहन संिेिनिीलिा िखिे ही बनिी है ।मै
                                                                                    े
           अपनी कमथठ विद्यालय प्रमुख श्री मिी मृणाशलनी गौिम का आिार व्यति करना
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           िाहगी क्जनक मागथ ििथन से ही यह पत्रत्रका अपने सुिर कलेिर में आपक सम्मुख आ
               ं
                                                                                               े
                                                                        ं
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           सकी है ।मैं संपािकीय मंड़ल क े सिस्यों, शिक्षकों एिं छात्रों को आिार व्यति करिी
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           हूँ,क्जनक सहयोग से अनुपम रिनाओ से सजी हमारी 'आरोहण 'का उिरोिर प्रगति पर्
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           इिना सुगम बना ।
           स्नेहािीर् !
           धित्रा गौड़
           प्रितिा दहंिी





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      हर दिन मरा सिथश्रष्ठ दिन ह यह मरी क्जन्द्िगी ह मर पास यह क्षण िुबारा नहीं होगा.
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                                                                           े
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