Page 7 - Vigyan Ratnakar May 2021
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मई 2021 7
दहीक जोरनः गुणकारी
जीवाणु सिूह
संध्ा झा
तमछिलाक पतहचान चुिा-दही सब गोटाभोरे भोरे खेने अिश्य होयब, मुदा, कतहयो ई सोच-तिचार के लहुँ जे दही बनैि कोना अछि?कीतिज्ानबिाबयअछिजेगरमदधूमेजोरन खसाबयिे दही कोना बन जय अछि? पतहने ई बुझु जे जोरन हमरा सभक पेट कें फयदा पहुचाबय िाला
जीिाणुक समूह अछि।
दधू मे के सीन (Casein) नामक प्ोटीन रहय
िैक। एतह प्ोटीनक कारण दधू क रांग उज्जर होय िैक। जखन दधू मे जोरन देल जाय िैक, ओकर 3-4 घांटा बाद दधू दहीमे बदछल जाय िैक। एतह जमल दधू मे लक्टै ोबछै सलस लस्ै क्टस आ ल्कू ोनोस्टोक छसटट्ोिोरम नामक जीिाणु रही िैक। ई जीिाणु सभ दधू मे मौजदू लक्टोस कें फरमां ट कय क लस्ै क्टक अम्ल (lactic acid) मे बदछल दय िैक। एहीसां दधू खट्गर भ जाय िैक आ के सीन प्ोटीन सभ जमय लागय िै। दधू क इएह जमल रूप दही कहल जाय िैक।
दधू स दही बनब एकटा रासायतनक तकया (Chemical action) िैक। ई तकया बैक्टीररया आ के सीन प्ोटीनक बीच होय िैक। दहीक उपयोग अपना सबहक समाजमे बहुि पतहने सां भ रहल अछि। दही खेला स पेटक बीमारी नतह होय िैक। दहीमे उपस्थिि बैक्टीररया आांिमे जमल अपछशष् सभकें साफ करय िैक।
यतद अहाँ ई तिचारमे िी जे ई सभ कोन कोन नाम हम कतह रहल िी, ई सभ की छिक, ि सुनु आ बूझु तकिु गप माइकोबायोलॉजी के र:
जमलदधू मेलक्ै ोबमैसलसलक्ैक्स आल्कू ोनोस्ोकमसट्ोवोरम नामक जीवाणु रही िैक। ई जीवाणु सभदधू मेमौजदू लक्ोसकेंफ़मटमें कय लक्ै क्क अम्ल (lactic acid) मे बदमल दय िै क।
िाइक्रोबायरोलॉजी की थिक
माइकोबायोलॉजी जीि तिज्ान (बायोलॉजी)
के र एकटा शाखा छिक जातहमे प्ोटोजोआ, ऐल्ी, बैक्टीररया, िायरस सदृश सूक्ष्म जीिाणु (माइकोऑगवेतनज्म) सभ के र अध्ययन कल जाय िैक। ई सूक्ष्म जीिाणु सभ तबना माइकोस्ोप कें देखल नै जा सकय िैक।
जीवाणु की थिक
जीिाणु सभक खोज-पिा सबसे पतहने एांटोनी िॉन ल्ूिेहिॉक (1683) नामक िैज्ातनक लगेने रहछिन। तहनका जीिाणु-तिज्ानक जनक (father of bacteriology) कहल जाय ितन। एही सूक्ष्म जीि सभ कें एरनबग्थ (1829) नामक िैज्ातनक जीिाणु (bacteria) नाम देलछखन।
फाांसक िैज्ातनक लुई पाचिर (1876) खोज के लतन जे जीिाणु सभक सहयोग सां तकणिन (fermentation) के र तकया भ सकय
िैक। एही कारण तहनका सूक्ष्म जीि तिज्ान (microbiology) के र जनक आ रोबट्थ कोच कें आधुतनक जीिाणु तिज्ान (father of modern bacteriology) के र जनक कहल जाय ितन।
जीवाणुक िहत्व
1. खेि–पिारमे (In agriculture): जीिाणु मातटक िाकि बिाबय िैक। सब गाि तबररि लेल नाइटट्ोजन बहुि जरुरी होय िैक। िायुमांिलमे नाइटट्ोजनक मात्रा 7.8% िैक। प्ाय: गाि सभ नाइटेट्ट्स रूपमे नाइटट्ोजन लैि िैक।
2. औद्योतगक महत्व (Industrial value): बिका – बिका उद्योग सभमे जीिाणु खबू महत्वपणू ्थ होय िैक। 3. औषछध (Medicines): एांटीबायोतटक दिाई जीिाणु सभक उपयोगसां बनायल जाय िैक। जेना तक बैछसलस ब्ेतिक् सां एांटीबायोतटक-िायरोस्क्न आ बैछसलस सस््टछलस स एां टीबायोतटक-सस््टछलन के र उत्ादन होइि िैक।
ववनम्र श्रदांजलल
दरभांगाक प्ख्याि छचतकत्क पद्मश्ी िॉ. मोहन तमश् एिां प्छसद्ध िज्ै ातनक, पद्मश्ी िॉ. मानस तबहारी िमा्थ नतह रहलाह। तिज्ान रत्नाकर पररिार एतह अपरू णीय क्षति पर तिनम्र श्द्धाजां छल अतपि्थ करैि अछि।