Page 5 - Vigyan Ratnakar May 2021
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ववज्ान कथा
    मई 2021 5
    भोजन तकएक दिै अथि आनंद?
अमिताभ कु िार लाल दास
छिररयैि गोलिी पर राधा िमिमाय लागछलह। टांटा भ गेल। छभनसरे
छभनसर मोन व्छिि भेल। कहछलयैहि िमिमाय स बतिया छिररयैि गोलिी के
तकिु खाय लेल तदयौ। भोजन भेटिैहि ि ओ सम्हरर जेिाह। एतहना भेल। सुस्ादु तबस्ु ट आ बान्थबीटा स गोलिी आनांतदि भेला आ अप्पन काज मे लातग गेलाह। उत्ांतठि राधा झट दय पुिछलह। ऐना केना भय गेलै? हम कहछलयैहि, एतह पािु तिज्ान अछि।
भोजन सजीि के शरीर मे सिि् होमय िाला नैसतग्थक जैतिक तकया के मूल आधार िैक। भोजन सजीि के शरीर मे ऊजा्थ एिां पोषक ित्व पूति्थ मे सहायक होयि अछि। मनुष्य मे भोजन के प्तकया प्ाकृ तिक िािािरण एिां सामाछजक अिचेिना पर तनभ्थर करैि िैक। भोजन के रूप मे मनुष्य िैह पदाि्थ के अिरिाह्य मानैि िै जे ओ परांपरा या बचपन स करैि आबै िै। ओना पररिेश मे प्चुरिा स उपलब्ध आओर कृ तष काय्थ स उत्ातदि फसल आओर फल सब्ी भोजन मे मुख्य थिान राखैि िै। कालकम मे भोज्यपदाि्थ के स्रूप हरदम स बदलैि रहलैया। जेना कतहयो ओरहा आओर झख्ा आनांदातिरेक स भरर दैि रहै िातहना मैगी, छचप्, कु रकु रे, नूिलस आब नििुररया सब के ललचबै िै। िानल, िरल, सेंकल, उसनल पाक अलग-अलग समय मे खूब रुछचकर
लगै िै। अपन सामान् ज्ान के आधार पर हम कतह सकै ि िी जे भारि के अलग-अलग तहस्ा या राज्य मे परांपरागि भोजन मे तिशेष छभन्निा िै। माि-भाि, दही-चूिा, इिली-िोसा, िोकला-फाफिा,पोहा-
बिी, रसम-उत्म, रायि-तबरयानी,राजमा-चािल, छलट्ी-चोखा,आर बहुि तकि। एिबै नहीां भोजनक सचार आओर अलग अलग तमश्ण हरदम स मोनक उत्ुकिा जगबैि िै।
तिज्ान के दृतष्कोण स भूख अिचेिन आ सचेिन दनु ु मनक शाश्ि अिथिा िै। हम जे भोजन रिहण
करैि िी
से पाचनिांत्र
मे तिछभन्न रसायन
यिा एनजाइम के मदद स
पोषक ित्व मे अपघतटि होयि अछि। पुनः रति
मे अिशोतषि भय सां चाररि होयि अांगक तिछभन्न कोछशका आ ऊतिक िक पहुांचय िै। कोछशका मे श्सन तकया स पहुांचल आक्ीजन के तकयाशील भेला पर पोषक ित्व ऊजा्थ मुति करैि िैक।
एतह ऊजा्थ के उपयोग कय ADP अणु ATP मे पररिति्थि भय कोछशका के भीिर ऊजा्थ स्रूप मे थिातपि होयि अछि। बाद मे शरीर के स्थि आओर सांचाररि राखै लेल ATP अणु ऊजा्थ प्दान करैि िैक। सामान् तदनचया्थ के स्थिति मे स्थि शरीर मे भोजन स ऊजा्थ थिातपि होमय मे 4-6 घांटाक समय लागैि िैक। अपन सांस्ार मे हम सामान् िौर पर चारर बेर भोजनक व्िथिा (छभनसुरका जलखय, तदनुका भोजन, बेरू पहर के भुजा भुजी, रिुका भोजन) देखैि िी जे तिज्ान सम्ि िैक।
भरर तदन काज कयला के बाद,बेसी उल्ास, भय, छखझ, छचांिा, कांदन या सुिला स शरीर मे ऊजा्थ के क्षय िीव्रिा स होमय लागैि िैक। एतह स्थिति
मे शरीर ऊजा्थ के पुनथिा्थतपि करैक लेल आिुर भय जायि िैक। िखन गम्थ भोजन के सुगांध शरीर के भोजन आओर पाचनक लेल िैयार करय लागैि िैक। जखन सचार लागल भोजन स्च्छ बासन
मे हांसैि व्तति द्ारा शाांि छचति स पररहास के सांग परसल जाइि िखन आनांदे आनांद। अलग-अलग उम्र आओर स्ास्थ्य के तिछभन्न स्थिति मे शरीर के लेल पोषक ित्व के मात्रा मे छभन्निा िैक। एिबै नहीां अलग-अलग ऋिु मे भुखक स्थिति मे सेहो छभन्निा िैक। गममी मे भुख कम लागैि िैक हम खाइिो
कम िी आर पचबो कम करैया, मुदा जाि मे भुख बेसी लागैि िैक हम खाइिो बेसी िी आर पचबो
जखन सचार लागल भोजन स्वच्छ बासनमेहसं तै व्यवतिद्ाराशातं चचत्त सपवरहासकेसगं परसलजाइि तखनआनदं ेआनदं ।
खुब बतिया स करैि िैक। जाि मे शरीर अपना के गम्थ राखै लेल ऊजा्थ के नीक खपि करै िै मुदा गममी मे शरीर पसीना बहा अपना के ठांिा राखैि िै। एतह िरहें पहाि आ समुरि िटीय प्देश मे शरीर के जैतिक तकया मे छभन्निा रहलाक कारण षोषण आर पाचन
मे छभन्निा िैक। भोजन के सांिुछलि पाचन के लेल शरीर के स्थिरिा जरूरी िैक। िातह लेल हम भोजन के उपराांि आलस् महसूस करय लागैि िी। आओर नीक नीदां पाचन तकया के सांपन्न करय मे सहायक होयि िैक। कखनो काल भोजन कयला के िुरांि बाद जखन रूछचकर पकिान सोझा आबैि िै िय हम खाय लेल ित्र भय जायि िी तकएक जे भूख एक गोट मानछसक स्थिति सेहो िैक। कखनो काल उठिे मािर बच्चा कानय आर छितियै लागैि अछि जे मात्र भुखक लेल होयि िैक। िखन बच्चा के शाांि करय के लेल पोषक भोजन देनाय यिोछचि। शरीर के लेल सांिुछलि आहार िैह िै जे उछचि मात्रा मे प्ोटीन,िसा, काबवोहाइिट्ेट, तिटातमन, खतनज लिण, रेशा एिां जल इत्ातद उपलब्ध कराबै।
िखने जटाशांकर दलान पर स शोर कयलछि, चलु ने भोज मे पाि तबिय िाला िै सब केयो इांिजार करै िैि। भोजक आांगन मे सब तदस लोके लोक हमहुां जगह धेलौ।ां बरांिा स आां गन धरर बच्चा,बुिरूग, ियस् बुि सभ बैसलैि।पाि पर पकिान सब परसाय लागल। तकिु लोग पाि के बि बेस स सररयाि लगला। भोजनक कम शुरू भेल। तकिु दृश्य मन के कुां तठि करय लागल जखन तकिु लोग के परसन पर परसन लेला पर लोग कटाक्ष करय लगलखीन जे ऐहन भोज पतहल बेर खाइिः। िास्ति मे सामाछजक आओर पाररिाररक स्थिति
आ माांगछलक त्ौहारक आयोजन सेहो हमर भोजन शैली पर प्भाि राखैि िै। आछिक्थ रूप स तपििल पररिार आ समाज मे व्ाति कु पोषण मुख्य रूप स भोजन मे अतनयतमििा एिां भोजन मे पोषक ित्व के कमी के कारण देखल जाइि। हमर प्यास हेबाक चाही जे जरूरिमांद के भोजन आओर सांिुछलि आहार उपलब्ध होय।
     







































































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