Page 2 - Vigyan Ratnakar March 2021
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March 2021
 सम्नादकीय
        March 2021 | Vol 01 | Issue 01 रििान संपादक
नकु ल पाराशर
रिबंि संपादक कवपल वत्रपाठी
संपादक मानिि्षन कं ठ
परामश्ष मंडल अछखलेश िा (अध्यक्) पीएन छसंह आलोक कु मार रिकाश िा संजीि छसन्ा ररौशन िा
सुभाष चन्द्र
वडजाइन पीयालीवडजाइन
पत्राचारक पता
विज्ान रिसार, ए -50, इंस्ीट््शनल एररया, सेक्र -62, नोएडा -201 309, य्पी
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वडस्क्ेमर/अस्ीकरण
"विज्ान रत्ाकर" मे रिकाछशत लेख एिं लेखकगण द्ारा रिस्ुत विचार, छचत्र आवदक लेल विज्ान रिसारक कोनो छजम्मेिारी नै अछि। "विज्ान रत्ाकर" मे रिकाछशत लेख एिं विचार आवद कें वबना कोनो शल्कु देने पुनः रियोग कयल जा सकै ये, मुदा तावह लेल ई उल्ेख करब आिश्यक होयत जे अमुक सामग्ी विज्ान रत्ाकर सं लेल गेल अछि आ तें साभार/सरौजन् विज्ान रिसार अपेछक्त अछि।
                                    Cover Photo: Shutterstock
मैथथली मे ‘स्कोप’ः
नवल आरभं
डॉ. नकुल पाराशर
भारतीय भाषा मे विज्ानक संचार, लोकवरियकरण आ रिसारक कमी कें हमरा सब कतोक बरख सं अनुभि करैत रहलहं अछि। विगत दइु िष्ष सं विज्ान रिसार लगातार एवह वदशा मे अप्पन काय्ष क्ेत्रक विस्ार तीव्र गवत सं कय रहल अछि। पवहने ऊद्ष,् बांग्ा, तवमल, कन्नड़, आ आब मैछिली मे एवह पररयोजनाक निल आरंभ भऽ रहल अछि। एवह साि्षक रियास मे अपने लोकवनक संग-संग समस् भाषानुरागी
कें हृदय सं स्ागत आ अछभनंदन।
मुदा की थथक ‘स्कोप’ ?
विज्ानआरिरौद्ोवगकीकेरसंचार,लोकवरियकरण
आ रि स ा र क स ं छ क् प्त रू प आ ए क र अ ग्ं जे ी म े
प र र ि ण णी श ब्द छ ि क – स् ो प ( S C o P E अ ि ा त्ष ,् Science & Technology Communication, Popularization and Extension).
मछै िली मे ‘स्ोप’, पदापण्ष सं विज्ान आ रिरौद्ोवगकी सं संबंछित सामग्ी जन मानस तक मातभृ ाषा मे रिस्तु कयल जायत। ओना आरंभवहं सं विज्ान आ रिरौद्ोवगकी मानिता सं जड़ु ल रहल अछि, मदु ा विगत द् दशक सं विशषे जड़ु ाि रिवतवबम्बित भऽ रहल अछि। कवन विचार कररयरौ, जरौं कोरोना काल मे इंटरनटे , लपै टॉप, स्ाट्ष फ़ोन आवदनैरहतै,तऽकीहोइत?पण््षगवतसंचछलरहल छजनगी पर ‘कोरोना ब्के ’ लावग गले । लॉकडाउन मे संचार हते ु जरौं कोनो माध्यम िल त ओ िल स्ाट्ष फ़ोन, जकरा बलें हम सब दोस्-मवहम सं जड़ु ल रहलरौ।ं सं चार आ संिादक जीिन मे की महत्व िै, से हम सब कोरोना काल मे नीक जकां बछु ि सकलरौ।ं
आम जनता तक स्ाट्ष फोनक माध्यम सं इंटरनेट, ग्गल, याहू, आवद तऽ पहंछच गेल, मुदा एकरा पािाँ विज्ान-रिरौद्ोवगकी कोना काय्ष करैत िै, तकर छजज्ासा शांत कोना होयत - से रिश्न सदा-सि्षदा सं रिासंवगक बनल रहल अछि। एकरा लेल आिश्यक अछि अप्पन मातृभाषा मे वरिंट, इलेक्ट्ॉवनक, सोशल आ वडछजटल माध्यम सं विज्ान सामाग्ी कें सरल रूप मे रिस्ुत कयल जाय। िास्ि मे, इएह छिक – स्ोप।
वरिंट जगत मे आरंभवहं सं पत्र-पवत्रका आ पुस्क आवद पर जोर रहल अछि। बदलैत समय आ रिरौद्ोवगकीक सं ग-सं ग पवत्रकाक स्रूप सेहो बदछल गेल अछि। कतोक साल सं बहत रास पवत्रकाक रिकाशन होइत रहल अछि जे कागज पर िपैत रहल -ओ सब कालांतर मे, विशेष रूप सं कोरोना काल मे के िल इलेक्ट्ॉवनक फॉममेट मे िवप सकल। जन मानस मे विज्ान रिसारक लोकवरिय माछसक न््ज़ लेटर – डट्ीम
2047-वपिला आठ मास सं इलेक्ट्ॉवनक फॉममेट मे रिकाछशत भऽ रहल अछि। एहन पररम्थिवत मे, जखन जन मानस तक मैछिली मे विज्ान के रिस्ुत करबाक बात उठल, तऽ रििम सोपानक रूप मे माछसक न््ज लेटर रिकाशन पर विचार म्थिर केनाइ स्ाभाविक िल। एवह न््ज़ लेटर के नामक चच्ष भेल, तऽ विज्ान रिसार, मैछिली मे स्ोप के र कोर सवमवतक अध्यक् आ मैछिली कें पुरोिा आदरणीय श्ी अछखलेश िा जी बाछज उठलाह – एकर नाम हेबाक चाही - विज्ान रत्ाकर। हनक सुिािक अनुमोदन सवमवतक सदस्यगण द्ारा सि्षसम्मवत सं कयल गेल। आदरणीय िा साहेब कें हमरा सभक तरफ सं बहत-बहत िन्िाद।
मछैिली मे स्ोपक की स्ोप अछि आ आग् की सब होयत, एकर विस्तृ वििरण एवह अकं मे देल जा रहल अछि। आगाँ समय-समय पर एकरा विषय मे विशषे िणन्ष , सच् ना आवद सं अपने लोकवन कें अिगत कराबतै रहब। परञ्च, एतय ई आिश्यक बिु ना जा रहल अछि जे छजनका बलें ई निल आरंभ आकार ल सकल हनक नामक उल्खे हबे ाक चाही। ओ िछि विज्ान रिसारक हमर िररष्ठ सहयोगी आ िज्ै ावनक श्ी कवपलजी वत्रपाठी आओर इंवडया साइंस ओटीटी चनै ल के िररष्ठ पररयोजना रिबं िक श्ी मानििन्ष कं ठ। एकर अलािा, एवह रियास मे हम कोर सवमवतक सब सदस्यगण कें िन्िाद आ आभार रिकट कऽ रहल िी, छजनकर रचनात्मक सहयोग सं रििम पड़ाि के पार कऽ सकलहं आ अहां सभक हाि मे ‘विज्ान रत्ाकरक, ई रििम अकं पहछं च सकल।
पुनः-पुनः अपने सभक सहयोगक आह्ान करैत विज्ान रिसारक मैछिली मे ई रििम भेंट स्ीकार कय हमरा सभक उत्ाहिि्षन करू।
जय मैछिली, जय विज्ान !!
   































































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