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ख बृ र लताह
चरा चु गी र जनावरह
ढँ◌ुगा , माटो,
सिजव निज व
सबैले बुझेका छन ्
उनीह क हले
क ृ ती व ध उ ेनन ् !
मा छे , मा छेले क ृ ती बद न खो यो
क ृ ती बु न सके न
आफ ू लाई ववेक शल ाणी ठा दा
मा छेकै कारण
अ याय , अ याचार ,अपराध
र यु दले
व त हनेछ संसार
ु
मा छेकै ववेक शल स चले
मा छे क ृ ती बद न खो यो
तर
आफ ू भ रहेको अहंकार बद न चाहेन
अ लाई रा ो ब न सकाउन खो यो
आफ ू ले रा ो ब न सके न
आ नो मनको त इ या पुरागन चा यो
बु धी र ववेक गलत पमा योग गरो
यसैले
आज यो संसारमा
मानवता हराएर दानवता हावी छ ।
बधाता पनी दु:खी र प चा ापमा होलान
वधाताको सृि ट प रवत न गन दु शाहस गन
ाणी कन बनाँए भनेर
बाबुराम प थी "गु मेल "
त घास गु मी
नयाँ नेपाल दे े छौ
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ए ! वग वासी म
तमी ध य रहे छौ
वाह ! वग मा बास छ ।
याँहा प कै पनी आनि दत छौ होला
गारले सिजएको यो वग !
त झल मल रंगी वरंगी व ीह को रौनक
त सु दर बगैचामा फ ू लेका सुगि धत फ ू लह
न राग , वेश नत य वचार
यता उता जता हेय उतै खु शयाल
चारै तर उमंग भ रएका सु दर आ माह
वग मा पर ह को नृ य आकष क होला