Page 148 - Not Equal to Love
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सूरज ूकाश
- ये कहानी घर क तलाश - वह कभी 5कसी पIवऽ नद+ के
पारदश`, िनल, दोषर5हत जल क तरह लगता Oजसे आर
पार देखा, समझा और जाना जा सकता था। जैसा है, सबके
िलए वह+ है। कोई दुराव िछपाव नह+ं, और कभी यह+ शस
इतना हैरान-परेशान, चुyपा, अपने खोल म बंद लगने
लगता 5क उससे एक एक वा_य बुलवाने के िलए घंट*
मश_कत करनी पड़ती। लगता, वह लगातार 5कसी गहरे
मानिसक मंथन से गुजर रहा है।
- 5कतनी कहािनयां एक साथ पढ़ रह+ ह?
- अg छf कहानी है!
- आपक एक और कहानी खो जाते ह घर! वाह!! - वह
अचानक कार म से अनुपOःथत हो गया है और बाहर
भागती दौड़ती दुिनया म शािमल हो गया है।
और Iपता जी का नाम?
बाबू।
और मां का?
पता नह+ं।...कह+ं ऐसा न हो 5क कबीरा वगैरह आय और
उसे सोया पा कर लौट जाय।... आपक कहािनय* म
डेOः टनी से लड़ते हुए कै रे_ टर बहुत है जो चाह कर भी
भाJ य के लेखे से बच नह+ं पाते।
- जीवन ऐसा ह+ है बंधु!
- थामस हाड के उपTयास* म हर जगह यह+ है।
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