Page 176 - Not Equal to Love
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सूरज ूकाश
- हां माTयता तो उतनी तो नह+ं ले5कन कई जगह धुy पल म
चल जाती है। परमानट जॉब भी िमल जाता है।
- हममम
- ले5कन सच कहूं तो म इस तरह क चीज* से संतुं ट नह+ं
हूं। पर ये भी ः वीकार करने म हज< नह+ं है 5क रेगुलर
कभी हो ह+ नह+ं पाती मेर+ पीएचड+।
- ओके , एक और कर लेना। मना 5कसने 5कया है।
- जी!
- आज ह+ पढ़ा मने 5क छतीसगढ़ म कोई पांडे जी ह जो
बारह Iवषय* म एमए और पांच Iवषय* म पीएचड+ ह।
- पता है आपको 5क जब मेर+ शाद+ हुई थी तो म िसफ< बीए
बीएड थी। पहला एमए चल रहा था Oजसक पर+uाएं शाद+
के बाद द+ं। बाक सार+ पढ़ाई शाद+ के बाद पित के ूे=रत
करने और अपनी मेहनत के बल पर कं। अब कोई
मेहनत करना चाहे और ओ=रएंटेशन न िमले या िमले तो
टाइम न िमले तो सार+ से5टंग खराब हो जाती है। अभी
भी मन क बात कहूं तो 5हंद+ म ह+ पीएचड+ करने क
हा5द<क इg छा है। ये भी तय है 5क क/ं गी ज़/र।
- मेर+ कामनाएं। सहयोग का वायदा भी।
- एक गड़बड़ हो गयी है।
- वो _ या?
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