Page 19 - Vidyalaya Magazine- Kendriya Vidyalaya Rishikesh
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स्वामी वववेकानंद का बचपन का नाम नरेंद्र था वह कोलकाता में रहते थे तब हमारे देश पर अंग्रेजों का शासन था | एक बार वहां पर लडाक ू
ववमान आया | नरेंद्र को उसे देखने के वलए अविकारी से मंजूरी लेनी पडी थी | दफ्तर में दरबान ने
उनकी उम्र देखकर उन्हें अंदर ही नहीं घुसने वदया | आवखरकार वह नजर बचाकर सीव़ियों के
बजाय पानी का पाइप पकडकर ऊपर पह ंच गए और अपनी बातों से अंग्रेजी अफसर को ऐसा
प्रभाववत वकया वक उसने उन्हें मंजूरी दे दी | स्वामी वववेकानंद ने कभी वनराश होना
नहीं सीखा था | वह वनरंतर प्रयास में लगे रहते थे | इसी तरह हमें महान लोगों के
जीवन की घटनाओं से तो प्रेरणा वमलती है | उनकी कही ह ई बातों से भी हम
प्रेरणा ले सकते हैं | वजतने भी महान लोग ह ए हैं उन सभी ने वजन रास्तों से खुद को
ऊ ं चाइयों पर पह ंचाया है और समाज में या अपने क्षेत्र में प्रवतष्ठा पाई है उसे हम
क्यों नहीं अपना सकते | महान लोग भी आम इंसान ही हैं, फकक बस इतना है
वक वह अपने अलग नजररए और अलग कामों से समाज पर बडा प्रभाव छोडते हैं
स्वामी वववेकानंद इसका सबसे बडा उदाहरण है | हम महान लोगों की जीवनी प़िकर
संपूणक त्याग वनष्ठा और संयम आवद गुणों की वशक्षा ली जा सकती है | जीवन में वही
व्यवि सफल होता है जो चुनौवतयों को स्वीकार करता है | उन लोगों के जीवन से सीख
सकते हैं वक वजन्होंने अपने क्षेत्र में ववशेष कायक कर देश का नाम पूरी दुवनया में रोशन वकया है | जीतने
वाले अलग चीजें नहीं करते वो चीजों को अलग तरह से करते हैं |
ईशा खंडूरी
कक्षा नवी
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जब जब मनुष्य ने करना चाहा वदल है उसका बडा वफर से बसा देगी तुम्हें
ईश्वर की बनाई प्रकृवत का ववनाश बनकर परोपकारी
तब तब ईश्वर का क्रोि बनकर आया संभालना उस प्रकृवत को
काल हमारा लेकर आपदा का नाम अपनी अंवतम पूंजी की तरह
रुक जाओ न करो पहले के आने का इंतजार याद रखना वक अगर वह बसा सकती है
नहीं आस होगी सकती है तो वह उजाड भी सकती है
और ना ही होगा आसरा मत करना ववनाश का इंतजार
तब मनुष्य को याद आएगी छाया क्योंवक नहीं होगी वह मेहरबान बार-बार
हारना मत वफर से होना नतमस्तक प्रकृवत के सामने