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...अंत म� अपने गृहनगर नासरत म� आया।
                                 उन्ह�ने कहा, "अपने पड़ोसी से �ेम   परन्तु म� कहता �ँ: अपने श�ु� से �ेम करो, और तब तुम अपने स्वगर् म� िवराजमान
           वहाँ सब्त के िदन, यीशु ने िशक्षा देना आरम्भ िकया। करो और अपने श�ु से नफरत करो।"    अपने सताने वाल� के �लए �ाथर्ना करो।  परमे�र के समान हो जाओगे।














       वह अच्छे और बुरे पर सूयर् को उगाता है और धम�  परन्तु तुमको स्वगर् म� िवराजमान
            और अधम� पर बा�रश करता है।  चुंगी लेने वाले उनको �ेम करते ह� जो उनको �ेम करते ह�;  अपने िपता के समान होना है!
                                 मूितर्पूजक अपने भाइय� के साथ अच्छे से �वहार करते ह�।














                 क्या वह सोचता है िक      वह एक बढ़ई है! उससे   उसके भाई और उसकी बहन�,
                 हम बेवकूफ बन गए ह�?  वे कहते ह� िक वह चमत्कार   अिधक कुछ नह�!   वे हमारे जैसे ही ह�!
                               करता है! हा!












                उसके िव�ास की                     एक भिवष्य��ा को अपने ही घर म� अपने �रश्तेदार� के
                 कमी अ�ुत है।
                                                    साथ अपने गृहनगर के अलावा आदर िमलता है।



                                                              वह वहाँ पर केवल कुछ बीमार लोग� पर अपने हाथ� को
                                                                 रखने के अलावा कोई चमत्कार नह� कर सका।

           भीड़ ने उसका पीछा िकया और उसने उन पर                        वे िबना चरवाहे की भेड़� के
             तरस खाया, और अपने चेल� से कहा:
                                                                     समान थके �ए और असहाय ह�।

                                                                           इस बड़ी फसल पर दृि� करो, लेिकन
                                                                            यहाँ केवल थोड़े से मजदूर ह�!


                                                                              फसल के स्वामी से िवनती करो िक वह
                                                                               इस बड़े खेत म� मजदूर� को भेज दे!



     4 4                    म�ी 5:43-48, 13:54-58, 9:35-38; मरक ु स 6:1-6
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