Page 1 - Sunil
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दस क ुं वारियााँ, औि एक लाख चौवालीस हजाि यऺूदी
जैफिसनववले, इन्डियाना, यू. एस. ए.
60-1211M
11-Dec-1960
1 स प्रभात! मैं इस स बह यहााँ पि प्रभ की सेवा में वफि से आने के वलए बहुत ही प्रसन्न ऺूाँ। बाहि मौसम खिाब है,
पिन्त ओह, भीति सचम च में यह बहुत बव़िया है। यह वह एक समय है जब हम बाहि की ओि दृवि किते हुए यह कह
सकते हैं, वक अन्दि होना एक अच्छी बात है (क्या ऐसा नहीुं है?), बजाये इसके वक अन्दि की ओि दृवि डाल िहे होुं जबवक
बाहि होुं। गत िावि को हमें एक बहुत अच्छा आिाम वमला, औि हम इस स बह काफी अच्छा अन भव किते हैं। औि गत
िावि को हमािा एक बडा ही शानदाि समय िहा था; क्या हमािा नहीुं िहा था? शानदाि समय... औि मैं उसकी सिाहना
किता ऺूाँ। हमािी हुई थी....सभा ऐसी लगती थी, जैसी वक एक सभा हमािी शेवेपोर्ट में हुई थी—वजसमें आत्मा के आगे ब़िने
की लगभग एक—एक वनिन्तिता सी लग िही थी। अतः हम अवत प्रसन्न हैं, औि पिमेश्वि की भलाई औि कऱूणा के वलए
बहुत ही धऩॎयवावदत हैं; औि चूाँवक आप...आप अपनी आत्मा सहयोग में उसे सौुंप िहे हैं, अतः यही कािण है, वक वह हमािी
अग वाई औि मागट दशटन कि सकता है।
2 देन्डखए, यवद आप के पास द्वेष से भिी एक जन सभा है, तो पववि आत्मा प्रकाशन नहीुं देगा। आप के पास तो क छ
होना होता है, वक आप एक साथ वमलकि काम कि िहे होुं। जब वे एक वचत औि एक मन थे, तो स्वगट से....एक शब्द के
समान आया....देखा, समझे? पिन्त जब आपके पास होता है....इससे कोई मतलब नहीुं हैं, वक मैं वकतनी अवधक प्राथटना
किता ऺूाँ, औि वकतना वदन औि िात अध्ययन किने में लगा देता ऺूाँ, औि प्रभ के सम्म ख वकतना चल िहा होता ऺूाँ; लेवकन
जब यहााँ पि चल कि आता ऺूाँ, तो हो सकता है, वक मेिे ऊपि अवभषेक हो; जब यहााँ ऊपि चलकि आता ऺूाँ औि उस द्वेष
को अन भव किता ऺूाँ (समझे?); तो वह—वह बस इससे शोवकत होकि दूि चला जाता है; वह कोई भी बात प्रकर् नहीुं
किेगा। पिन्त जब आप यहााँ पि अवभषेक के तले होकि आते हैं, औि अपनी सभा को अवभषेक के तले अन भव किते हैं, तो
यही होता है, जब पववि आत्मा काम किने लगता है; जब वह ववचिण किने लगता है, औि हमािे वलए बडे बडे काम किने
लगता है। समझे?
3. मैंने अभी तक.....के ववषय में पास्टि से बात तक नहीुं की है...मैंने तो बस “के वल ववश्वास किो” गीत स ना, औि
इसवलए मैं बस थोडा सा चलकि अन्दि आ गया, औि मैं देखता ऺूाँ....देखता ऺूाँ; उन्ोुंने क्या...उन्ोुंने इस स बह के वलए क्या
प्रबन्ध ठहिाकि िखा हुआ है। अब, भाई नेववल, मैं आपको यह बताना चाहता ऺूाँ, मैं इस छोर्े से पाठ पि बोलना आिम्भ
कऱूुं गा, औि यवद मैं अध्यापन किता हुए लगभग ग्यािह बजा देता ऺूाँ, तो ठीक है, आप सभा अपने हाथ में ले लें, औि प्रचाि
किने लगे। यह कै सा िहेगा? (भाई नेववल कहते हैं, “जी हााँ, अवभषेक में कोई ववध्न न डावलए, आप बस आगे ब़िते िवहए'-
सम्पा.) ओह, मैं ववश्वास किता ऺूाँ, बस अवभषेक वमलता है; यहााँ पीछे भी अवभषेक हो िहा है। वह है एक....
4. ओह, भाई नेववल ने हमेशा ही....मैं यह उन अपरिवचत लोगोुं के वलए कह िहा ऺूाँ जो यहााँ पि शायद पहले कभी
नहीुं आये हैं, वे ऐसे हैं...(यह बात मैं उनके म ाँह पि नहीुं कह िहा ऺूाँ, पिन्त ) ....ऐसे एक कृ पाल इन्सान हैं; जो हमेशा ही इस
प्रकाि के िहे हैं। वे हमेशा ही उसे प़िते हैं....वचन के उस लेख को जीते हैं, एक दू सिे के वहत का ध्यान िखो। वे मसीह में
होकि सदा ही एक दू सिे का ध्यान िख िहे होते हैं। औि जब से मैंने उन्ें कभी जाना है; वे इसी प्रकाि के िहे हैं; वे के वल
तभी से ही ऐसे नहीुं हैं जब से वे यहााँ इस र्ेबिवनकल में हैं, विन जब से मैंने उन्ें कभी जाना, वे ऐसे ही हैं; औि ऐसा हुए कई
वषट हो गये हैं। मेिा मानना है, वह पहली बाि जो म झे भाई नेववल को देखने के ववषय में, उन्ें जानने के ववषय में स्मिण
आती है....मैं एक बाि उनका प्रचाि स नने के वलए मैथोवडस्ट कलीवसया में गया था....वे कई, कई वषट पहले हॉवडटपाकट में थे।
मेिा अन मान है—-मेिा अन्दाजा है, वक ऐसा हुए लगभग बीस या इससे भी अवधक वषट हो गये हैं जब मैंने उन्ें जाना था। तब
वे....औि वे थे....वे भी काम वकया किते थे; वे थे एक....मेिा अन मान है, वक वे हाल-वफलहाल तक भी काम कि िहे थे;
उन्ोुंने हमेशा ही हेनिीववले में जहााँ के वे हैं वन-ववभाग में तथा ऐसे ही कायट-क्षेिोुं में नौकिी की है, औि वे अपने जीवन-
यापन के वलए नौकिी किते थे, दू सिी तिफ वे प्रचाि किते थे, अभी हाल-वफलहाल तक मैंने भी ऐसा ही वकया है। औि
इसके बाद हमने बाहि वनकलना श ऱू वकया, जहााँ हम इसके अलावा औि क छ नहीुं कि सकते हैं। अतः मैं इसके वलए
ख श ऺूाँ। मैं अपने नये बॉस के कािण ख श ऺूाँ; भाई नेववल, क्या आप ख श नहीुं हैं? जी हााँ, श्रीमान! यकीनन, यह म झे अच्छा
लगता है। जी हााँ, श्रीमान, मैं उससे बहुत ही सन्त ि ऺूाँ।
5. औि अब, मेिा मानना है, वक वे सिे स्कू ल की क्लासोुं को वबना वलये ही छोडने जा िहे हैं। जी हााँ! वे बच्ोुं की
सिे स्कू ल की क्लास को वलये बगैि ही छोडने जा िहे हैं, क्योुंवक कक्ष को पृथक किनेवाले पट्ोुं को हर्ा वदया गया है; अतः
इससे कलीवसया पीछे तक जा सकती है।
6. अब, आज िावि हम इसके अन्डन्तम महान काल का, अथाटत् लौदीवकयायी काल का अध्ययन किने जा िहे हैं। औि
गत िावि हमने वफलदेलवफयायी काल वलया था, औि हम लौदीवकयायी काल के आिम्भ तक औि अध्यािोपण तक का
अध्ययन किते चले आये थे, औि उसके बाद हम उन महान भेदोुं को देखते चले जाते हैं वजन्ें पिमेश्वि हम पि उन कालोुं
के बीच में प्रकर् किने लगता है। ख ला द्वाि“, ”औि थोडी सी सामथट“, ”मेिे वचन को थामे िखा; “तेिे पास मेिा नाम तो है; ये