Page 29 - RISE-JUNE- 2025
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भाई-बहन का ररकता
कभी-कभी लड़ते हैं, बहस भी बहत करते हैं,
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पर एक-दूसर क बबना, हम नह ीं रह सकते हैं।
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जब मुश्ककल आए, हम साथ में खड़े होते,
प्यार और मस्ती से, हर पल को सजाते।
छोटा भाई मस्ती करता, लाता प्यार भी साथ,
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उसकी शरारतों में छछपा, ह ददल का हर जज़्बात।
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कभी वो चिढाता, कभी साथ में खलता,
उसक बबना अधूर , ह मर हर खुशी और मस्ती का ससलससला।
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लड़ाई भी होती ह, पर प्यार उनसे गहरा,
हर नाराज़गी क बाद, ररकता बनता और सुनहरा ।
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िाह हो गुस्सा या रोना, हम फिर भी साथ,
भाई-बहन का ररकता, ह सबसे खास ।|
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बड़ी द द हर बात ससखाती, हर मुश्ककल को करती आसान,
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उसकी सलाहों स समलता, हर बार नया ज्ञान ।
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हर ख्वाब को सि करन में , वो बनती ह सच्िी साथी,
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उसक बबना ये सिर, लगता ह जैस हो खाल – खाल |।
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भाई-बहन का ररकता ह सबसे प्यारा,
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लड़ाई-झगड़े में भी ह प्यार का नज़ारा ।
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बबना कह ह समझते, ददल की हर बात,
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इस बधन की महक, ह जीवन में सबस खास ।
मायशा हबीब 8D
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