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अंधरी गलियोों स गुजरता हूं मै
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अच््छाई की रोशनी स मुह मोड़ता हूं मै
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िककन जब बुराई की दिदि म फसन िगू
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एक अनोखी शक्ति स घर जाता हूं मै
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कभी कभी सोचन िगता हूं, क्योा भगवान को सबस प्योारा हूं मै?
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कफर नजर पड़ी ईश्वर की उस सृक्टि पर जजसका िाडिा हूं मै
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मरी हर कमी को तून स्वीकारा
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मरी हर ज़िद को तन ककयोा पूरा
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अब योह योकीन होगयोा ह मुझ कक तू हर पि ह मरा सहारा
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ककतनी अिग ह तू
ककतनी अक्वश्वसनीयो ह तू
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तून अपन कहस्स की खुशी भी की मर नाम
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ऐस कौन कर सकता ह लसवायो तर, तुझ प्रणाम
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आज मै एिान करता हूं
मैं बना हूं तुझी स े
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मैं लमि जाऊगा तुझी म ें
क्योोंकक तू और मै एक ह ै
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मरी मा तू सबस नक ह।
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Priya Soly
II BA Economics
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