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           हां गव ह मुझ म नारी ह ं –



           तोड़कर हर िपंजरा



           जाने कब म  उड़ जाऊ ं गी



           चाहे लाख िबछा दो बंदीशे



           िफर भी दर आसमान म
                       ू


           अपनी जगह बनाऊ ं गी




           हां गव  है मुझे म नारी ह ं



           भले ही परंपरावादी जंजीर से



           बांधे ह  दिनया क लोग  ने मेर पैर
                              े
                                             े
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           िफर भी उस जंजीर को तोड़ जाऊ ं गी



           म  िकसी से कम नह




           सारी दिनया को िदखाऊ ं गी
                   ु


           हां गव  है मुझे म  नारी ह ं ।।



           लव



           क ा – 8 b
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