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           मिहला स भी  रणा ल –
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                                                                       े
           एक समय ऐसा था जब लड़िकय  को लड़क  क मुकाबले कम माना जाता था एवं

           लड़िकय  को कवल घर प रवार संभालने का काय  स प िदया जाता था । उस समय
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                                                                                  े
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           लड़क  यादातर आराम िकया करते थे । लेिकन धीर-धीर समाज म  लोग  क  सोच
           पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ी और आज क समय म  लड़का लड़क  को समान माना जाता
                                                         े

           है । लड़क  तथा लड़िकय  क  पढ़ाई का समान  प से  यान रखा जाता है। प रणाम


            व प आज हर  े  क  लड़िकयां लड़क  से क ं धे से क ं धा िमलाकर अपनी िश ा पूरी


                                                      े

           कर  रही  है  एवं  साथ  ही  जीवन  क  हर   े   म  लड़क-लड़क   का  भेद  समा   कर
                                                                              े
           सफलतापूव क अपने आप क  मेहनत को िस  कर रही ह  । इंजीिनय रंग, मेिडकल,


           वकालत, सेना आिद ऐसा कोई  े  नह  है जहां लड़िकयां वत मान म  िदखाई ना दे ।


           हमार देश क  क ु छ मिहलाएं जैसे - क पना चावला, मदर टरसा, इंिदरा गांधी,  ितभा
                                                                                     े
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           पािटल,  ौपदी मुमू आिद मिहलाओं ने देश म  आगे बढ़ कर मिहलाओं क िलए एक

           अ छ मानक  थािपत िकये ह  । इन सभी मिहलाओं क जीवन से हम   ेरणा लेनी

                                                                                 े

           चािहए और समझना चािहए िक बिटयां भी बेट  क समान काय करती है इसिलए हम
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                                                                        े
           इ ह  समान समझना चािहए ।



           आिद य, शान क ा – 9 b



            िवशष गु ा  क ा – 6 c
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