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           मिहला भी ह पु ष क समान –




           पहले क लोग मिहलाओं को क ु छ भी नह  समझते थे । वे सोचते थे िक मिहला पढ़
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           िलख कर  या करगी अंत म  तो उ ह  चू हा चौक  ही संभालना है । लेिकन महारा   म
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           मिहला सािव ीबाई  फ ु ले ने मिहलाओं क िलए पहला िव ालय खोला तब उनक
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           समाज क लोग  ने उ ह  बह त भला-बुरा कहा और उनक साथ भेदभाव िकया एवं उ ह
           कहा िक मिहला पढ़ िलख कर  या करगी । लेिकन उनक पित ने समाज क  बात नह
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                                                                                े
           मानकर अपनी प नी का साथ िदया । िफर धीर-धीर मिहलाओं को थोड़ी आजादी
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                                                                            े
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           िमली एवं इस आजादी को  ा  करक देश म  मिहलाएं  धानमं ी, रा  पित बनी ।

           उ ह ने  मिहलाओं  क  िलए  उ च  आदश    थािपत  िकए  ।  इसी  कारण  वत मान  म
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           मिहलाओं को   येक वो अिधकार  ा  ह  जो पु ष  को िदए गए ह  ।



           ि यांशु




           क ा – 8 c
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