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उिचत अवसर स सुनीता बनी डॉ टर –
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िद ली क एक छोट से िह से म एक प रवार रहता था । उनक प रवार म क ु ल 4 सद य
रहते थे । सद य म से उनक दो ब चे थे । एक लड़का िजसका नाम राम था एवं एक
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लड़क िजसका नाम सुनीता था। सुनीता अपने भाई से बह त यादा अ छी पढ़ाई करती
थी । उनका प रवार बह त गरीब था । उसक माता-िपता बड़ी मुि कल से उनक पढ़ाई
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करवा रहे थे । इस कारण समाज क लोग उ ह बह त भला बुरा कहते थे । वे कहते थ िक
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बेटी को य पढ़ाना, बेटी को तो दसर क घर पर ही जाना होता है तो उस पर इतना
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खच करने का या फायदा । लेिकन उसक िपता यह बात एक कान से सुनकर दसर
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कान से िनकाल देते थे।
वह यह सब सुनकर घर चला जाता है । लेिकन एक िदन यह सब बात उसक बेटी
सुनीता ने सुन ली। वह रोने लगी और वह कहती है िक म अपने माता-िपता को राजा-
रानी क तरह रखूंगी । साथ ही पूर समाज क सोच भी बदल कर रख दंगी । यह बात
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सोच कर वह वहां से चली जाती है । ऐसे क ु छ समय बीत जाने क बाद वह बड़ी होकर
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अपने पैस से पढ़ाई चालू रखती है और क ु छ समय बाद वह डॉ टर बन जाती है । वह
बह त खुश थी य िक अब वह अपने प रवार का खच खुद उठा सकती थी । यह सब
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देखकर समाज क लोग क आंख खुल गई ।अब वे भी अपनी बेिटय को पढ़ाने लगे ।
इसिलए कहते ह लड़का हो या लड़क दोन है एक समान कोई नह िकसी से कम।
मोनू क ु मार क ा – 9 c