Page 197 - Sanidhya 2025
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कौ� रंग फागु� रंगे, रंगता कौ� वासींत,
पी्रेमै रंग फागु� रंगे, पी्रीत कुसीर्भ वासींत।
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रोमैरोमै केसीर घुली, चादा� मैहके अंग,
कबे �ा�े कबे धाो गया, फागु� सीारे रंग।
रचाा मैहोत्सीवा पीीत का, फागु� खेले फाग,
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सीा�सीों मैें कसी्तूरहिया, बेोये मैीठी आग।
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पीलटे पीलटे मैौसीमै तके, र्भौचाक �हिरखे धापी,
रह रहकर चाहितवाे हवाा, ये फागु� के रूपी।
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मै� टेसीू टेसीू हुआ त� ये हुआ गुलाल
अंखहियों, अंखहियों बेो गया, फागु� कई सीवााल।
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होठोंहोठों चापीपीहिया, आखों, आखों बेात,
गुलमैोहर के ख्वााबे मैें, सीड़क ह�सीी कल रात।

