Page 48 - Sanidhya 2024
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        था� गीई थाी। उनस किब�ल चला नहैींं जाा �हैा थाा। रुद्रो उन� किलए घांड़ीा
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                               ं
        ��ना चाहैता थाा लकि�न उन्हेंन या बंल�� मुना �� किदयाा कि� बारि�श
        बहुत ज्यादा है, घांड़ीा किफसल गीयाा तं किफ� गीड़ीबड़ी हैं जाायागीी। वां लंगी
                  ै
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        शामु �ं मुकिद� पहुच  गीया था। बारि�श  रु�न �ा नामु हैी नहैींं ल �हैी थाी।
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                                ं
        सबन सामुान �खन � किलए ए� टीटी किलयाा। उस� बाद मुकिद� �ी त�फ
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        चल गीया। अभाी वाहैा आ�ती शरू  नहैीं हुई थाी। सब मुकिद� �ी परि�क्रमुा
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        ��न लगी। रुद्रो बंला ‘मुा, अभाी आ�ती शरू नहैीं हुई है, मु दंस्तंंं �
                                                         े
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        साथा ऊँप�  भा�ंं  जाी � दशन  ��� आता हूँ । मुा न �हैा ‘ठाी� है, प�
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        आ�ती शरू  हैंन स पहैल आ जााना। रुद्रो अपन दंस्तंंं � साथा भाागीता
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        ऊँप� चला गीयाा। शामु � 7.15 याा 7.30 � ��ीब बहुत जां� स बादलंं
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        �ी गी�जा सनाई दी। रुद्रो भा�ंं मुकिद� मु दशन  �� �हैा थाा उसन जास हैी
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        पलटी �� दखा उस�ी आखंं � आगी ए� बहुत हैी भायाान� मुजा� थाा।
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        पानी �ा अधैाधैधै सलाब थाा, जां ग्लेकिशया� �ं अपनी चपटी मु लता हुआ   बारि�श  तजा थाी औ� रुद्रो गीमुगीीन। उसन हैाथा जांडो औ� बंला “कि�तना
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        मुकिद� �ी त�फ जाा �हैा थाा। रुद्रो �ी आख फटीी �ी फटीी �है गीई। उस   अ�ला �� किदयाा आपन मुझे। सब �छु छुीन किलयाा मुझेस, मु सब�
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                                                                                               े
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        आवााजा न उस� किदल मु ए� डो� बठाा किदयाा। वां समुझे गीयाा कि� �ंई   साथा आयाा थाा आप� आशीवााद  � किलए। आपन क्या कि�याा? सब�ं
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        प्रलया है। औ� सहैी मुायान मु वाहै प्रचडो प्रलया हैी थाा। किजासन बफ �   अपन पास हैी बला किलयाा औ� मुझे याहैी छुंड़ी किदयाा, बसहैा�ा।” तभाी उस  े
                                                         े
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        बड़ी-बड़ी ग्लेकिशया� �ं पल� झेप�त हैी बहैा किदयाा। रुद्रो न दखा बादल   अपन किस� प� कि�सी �ा हैाथा मुहैसस हुआ। उसन दखा, वाहैी अघां�ी
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        फटीन �ी वाजाहै स सब �छु जाल मुग्न  हैंता जाा �हैा थाा। उस समुझे हैी   थाा। रुद्रो �ं अपन दद मु उस वा� वां अघाौ�ी हैी अपना सा लगीा। अगील  े
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        नहैीं आ �हैा थाा कि� अचान� क्या हुआ। रुद्रो भा�ंं जाी � मुकिद� मु थाा जां   किदन अघां�ी रुद्रो �ं मुकिद� ल गीयाा। वाहैा उन्हेंन दशन  कि�ए।
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        �दा�नाथा मुकिद� स बहुत ऊँप�  �ी त�फ थाा। इसकिलए बचा हुआ थाा।      दंनंं वाापस गीौ�ी�ण्ड �ी त�फ चल पड़ी। 3-4 कि�लामुीटी�
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        तभाी उसन दखा कि� ए� बहुत बड़ीी किशला पानी मु बहै �� आ �हैी थाी।  �े  बाद अघां�ी रु� गीयाा। उसने रुद्रो से �हैां ‘�ु छु सुना? रुद्रो ने �हैा
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        वां �दा�नाथा मुकिद� � पीछु अनायाास रु� गीयाी किजासस पानी �ा बहैावा  ‘नहैीं,। अघां�ी बंला ‘घ्याान से सुनं‘। रुद्रो ने �ान लगीायाा तं उसे �ूं -�ूं
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        दं किहैस्सां मु बटी गीयाा औ� मुकिद� �ं �ंई न�सान नहैीं हुआ। तभाी रुद्रो  �ी आवााजा सुनाई दी। रुद्रो भाागी �� घााटीी �ी त�फ गीयाा तं देखा नीचे
                                                         े
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        � �ानंं मु उस� दंस्तंंं �ी आवााजा पड़ीी। जां जां�-जां� स चीख �है था।  नदी मुं ए� श्वाानी  बफि  �े  पानी मुं बहैते हुए आ �हैी थाी। रुद्रो �ं लगीा
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          ँ
        मुा-किपताजाी, भााई। तभाी रुद्रो �ं हैंश  आयाा कि� उस�ा परि�वाा� भाी मुकिद�  जाैसे उस�ा �ंई अपना हैं। उसने आवा देखा न तावा। अपना बैगी फं �ा
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        � पास है। रुद्रो जां� स किचल्लीायाा औ� नीच �ी त�फ भाागीन लगीा। उस�  औ� नीचे �ी त�फ भाागीा। उसने जाल्दीी से जाा�� उस छुंटीी सी श्वाानी
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        दंस्तंंं न उस प�ड़ीा औ� बंल ‘�हैा जाा �हैा है। �छु नहैीं बचा‘। रुद्रो न  �ं बफि  �े  पानी से बाहै� किन�ाला। श्वाानी �ाँप �हैी थाी। उसने श्वाानी �ं
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        दखा ए� पल मु सब �छु जालमुग्न हैं च�ा थाा। �दा� �ी गीहै�ी-गीहै�ी  अपनी  जाै�े टी  मुं  किछुपा  किलयाा।  वां  उसे  ले��  ऊँप�  आयाा।  तभाी
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        घााकिटीयाा जाल स भा� गीई थाीं। �हैीं �ंई किदखाई नहैीं द �हैा थाा। मुकिद� �ं  अघां�ीबंला ‘�हैाँ थाा न, याे �े दा� �ी घााकिटीयाां हैै भांले, �ु छु दे�� हैी
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        छुंड़ी �� सब �छु जाल मु समुा गीयाा थाा। अथााहै जाल प्रवााहै सब�छु  जाायांगीी। मुहैादेवा �ा प्रसाद हैै ते�े किलए‘। रुद्रो ने उसे सहैलायाा। दु�ान
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        बहैा ल गीयाा। �वाल मुकिद� � अद� जां लंगी औ� पकिडोत था। वाहैी बच था।  वााले से थांडोा सा गीमुि दू धै किलयाा औ� उसे किपलाने लगीा। दु�ान वााला बंला
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        रुद्रो न नीच �ी हैालत दखी औ� जां� स किचल्लीायाा औ� इसी � साथा वां  बड़ीा प्यूा�ा औ� सुंद� पप्पीी हैै। क्या नामु हैै इस�ा? रुद्रो चुप हैं गीयाा।
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        अपनी संच स बाहै� आयाा। इस सद मुौसमु मु भाी रुद्रो पसीना-पसीना हैं  तभाी  अचान�  अघाौ�ी  ने  �हैाँ  ‘भाै�वाी‘।  रुद्रो  चुपचाप  खड़ीा  थाा।  रुद्रो
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        गीयाा थाा। अघां�ी न रुद्रो स पछुा ‘क्या हुआ? �छु ब�ा यााद आयाा? रुद्रो �ं  “भाै�वाी” �ं दू धै पीता छुंड़ी�� जााने लगीा। दु�ान वााला बंला ‘भााईसाहैब
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        ए� पल � किलए ऐसा लगीा जास वां अघां�ी उस�ी संच मु उस� साथा  आप�ी भाै�वाी‘। रुद्रो ने �हैां ‘मुे�ा �ंई नहैीं हैै औ� वां वाहैाँ से चला गीयाा।
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        थाा। उसन भाी सब �छु दखा हैं। रुद्रो न अपना बगी उठाायाा औ� चल  अघाौ�ी बंला ‘किजासे जाीवानदान किदयाा हैै, उसे ऐसे हैी छुंड़ी�� चल दंगीे।
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        किदयाा। शामु हैंत हैंत रुद्रो �दा�नाथा पहुच  गीयाा थाा। आ�ती �ा समुया  रुद्रो बंला ‘अब कि�सी अपने �ं खंने �ी ता�त नहैीं हैै मुुझेमुं। वां धैी�े
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        हैं च�ा थाा। है�ी-है�ी बारि�श  हैं �हैी थाी। रुद्रो हैाथा जांड़ी �� मुकिद�  से बंला डो� लगीता हैै, औ� वाहैाँ से चला गीयाा। भाै�वाी भाी उस�े  पीछुे -
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        � सामुन खड़ीा थाा। आ�ती हैंन � बाद रुद्रो मुकिद� � सामुन बठा गीयाा।  पीछुे  आने लगीी। रुद्रो ने उसे मुुड़ी�� भाी नहैीं देखा।
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