Page 76 - Sanidhya 2024
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संंगीीत मेंं ताल काा मेंहत्व
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संगीीत ईश्वर कीी उत्कृष्ट कीलााकीतित है। संतत प्रवााहैमाान, पतिवात्र, आघात कीो माात्रा कीहैा जाता हैै। इन संोलाहै
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पावान, संरसं एवा संजनात्मकी। संगीीत कीी उत्पति� संतिष्ट की संाथ हैी हैो चुकीी माात्राओ कीो चुार खण्डों मां तिवाभूातिजत तिकीर्याा
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थी। वास्तुत प्रकीतित मा ति�प अभूतपवा संौन्दर्याात्मकी तत्त् , मानष्य कीो स्वत हैी जाता हैं। प्रत्येकी खंड कीो बंजाने कीे तिलाए र्याा
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अपनी ओर आकीति�त कीरत है और इसंी आकी�ण न कीलाा कीो जन्म ति�र्याा। आघात कीरने कीे तिलाए उ�गीतिलार्याों कीी अलागी
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माहैान तिवाचुारकी अरस्तु न भूी कीहैा है- चुाला और अलागी वाजन हैोता है। पहैला खड
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की पहैलाी माात्रा पर ठहैरावा की संाथ ज़ोर सं े
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”प्रकृति� कृा अनुसरण हीी कृलाा ही।” आघात कीी जाती है र्याा र्याों कीहै बंजाई जाती
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श्रीीम�ी नुतिलानुी प्रभाा,
है, तिजसंसं र्याहै आभूासं हैोता है तिकी र्याहैा सं े पत्नीी श्रृी राजर्शा कीमाार तिसंहै,उप माहैातिनरीक्षकी
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लातिलात कीलााओं मा संवााति�की माहैत्त् संगीीत कीो हैी ति�र्याा गीर्याा है। संगीीत गीार्यान ताला कीी र्शाुरुआत हैो रहैी हैै। इसं आरंतिभूकी संगीठन, माहैातिन�र्शाालार्या
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,वाा�न एवा नत्य इन तीनों तिवा�ाओं कीी तित्रवाणी है तिकीन्तु एकी संत्य र्याहै भूी है तिकी स्थाान र्याा पहैलाी माात्रा कीो संमा कीहैते हैं। संमा
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इन तीनों तिवा�ाओं कीा संगीीत की अतगीत पारस्परिरकी संबं� भूी है। हैालाातिकी कीो संांगीीतितकी भूा�ा मां ‘X’ तिचुन्ही कीे द्वाारा �र्शाावते हैं। हैर खंड कीे अंतगीवत चुार
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प्रत्यकी कीा अपना तिनजी अस्तिस्तुत्व भूी है। र्या तीनों कीलाा अपनी अपनी संीमााओं माात्राओ कीा संमाावाेर्शा हैोता हैै, तिजनकीे तिलाए संांगीीतितकी भूा�ा मां ना, ति�न, ति�न,
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मा स्वतत्र रूप सं तिवाकीतिसंत भूी हुई और हैो भूी रहैी है तिकीन्तु जबं र्या तीनों ना र्शाब्दोोच्चाार संे कीरते हैं। संमा कीे तिनर्शाान (X) कीो पहैलाी माात्रा कीे र्शाी�व पर
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तिवा�ाए संस्ति�तिलात हैोकीर प्रकीट हैोती है तो संगीीत कीा चुमात्कृार अवाणनीर्या अंतिकीत तिकीर्याा जाता हैै। �ू संरे खंड कीी र्शाुरुआत पा�चुवाी माात्रा संे हैोगीी तिजसंकीे
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रूप सं तिनखरकीर प्रस्तुत हैोता है। संगीीत कीी प्रस्तुतित मा ताला कीा संहैर्याोगी र्शाी�व पर 2 अंकी तिलाखंगीे। अत �ू संरे खंड कीो �र्शाावने कीे तिलाए 2 अंकी कीा
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अत्यत माहैत्वपण है र्याा र्याों कीहै तिकी ताला की तिबंना न तो गीार्यान, वाा�न कीो पण तिनर्शाान �ेते हैं। पहैलाे खंड कीे संमाान हैी �ू संरे खंड कीी र्शाुरुआत कीो �र्शाावने
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रूप सं �र्शाार्याा जा संकीता है और न हैी नत्य-कीलाा कीो आस्तिखर क्योों? कीे तिलार्याे पा�चुवाीं माात्रा कीे र्शाी�व पर अंकी-2 तिलाखा जाता हैै। इसंकीे अंतगीवत भूी
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तो उ�र है तिकी ताला एकी आ�ार कीा तिनमााण कीरता है, तिजसं हैमा नीवा कीहैत चुार माात्राओं कीा संमाावाेर्शा हैै। अथावत पांचुवाी, �ठी, संातवाीं और आठवाीं माात्रा
है। र्याहै एकी परिरति� कीा तिनमााण कीरता है ै तकी। इसं भूी संागीीतितकी भूा�ा मा पहैला े
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,तिजसं पर गीार्यान, वाा�न एवा नत्य एकी खड की संमाान हैी उच्चाारण कीरत है :--
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परिरक्रमाा कीो कीाल्पतिनकी रूप सं माहैसंसं
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कीर और आ�ार माानकीर कीलाा कीा ना, ति�न, ति�न, ना। तिकीन्तु नवाीं माात्रा, जो’
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संजनात्मकी प्र�र्शान कीर पात है। जबं हैमा तीन-ताला‘ कीा माध्य स्थाान है, की आन े
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ताला कीी परिरचुचुा कीर रहै है तो र्याहै भूी पर, उगीतिलार्याों कीी चुाला बं�ला �ी जाती
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जानना आवाश्यकी है तिकी ताला कीो �र्शाान े है। र्याहै स्थाान तीसंरा खड है एवा एकी
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की तिलाए तिजन ताला वााद्योों कीा तिहै�स्तुानी माहैत्वपण पड़ेावा है, नवाीं माात्रा कीो
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र्शाास्त्ीर्या संगीीत मा प्रर्याोगी तिकीर्याा जाता है ै प्रभूावाकीारी तरीकी सं प्रस्तुत कीरना
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,उनमा प्रमाख वााद्यो तबंलाा, मा�गीमा, पगी, अत्यत रोमााचुकीारी प्रतीत हैोता है। इसं
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ढोोलाकी, घटकीमा आति� है ,तिजनकी माख कीा खड कीो (माध्य स्थाान)’ खालाी ‘कीहैत है।
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आकीार प्रार्या कीटोरानमाा हैोता है। खालाी जगीहै पर अलागी और �ीमाी
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अति�कीार्शा ताला वााद्योों की माख पर चुमाड़े े आवााज़ आन पर र्याहै एहैसंासं हैो जाता
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कीी चुा�र माढ़ीी जाती है, तिजसं संागीीतितकी है तिकी र्याहै माध्य स्थाान आ चुकीा है, इसंकी
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भूा�ा मा पड़ेी कीहैत है, तिजसंकी ऊपर अतगीत तिजन चुार माात्राओं कीा संमाावार्शा
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गीोलााकीार कीाला रगी कीी स्यााहैी बंनती है। है ,नवाीं ,�संवाीं, ग्याारवाीं और बंारहैवाीं; उन्ही इसं प्रकीार उच्चाारण कीरत है - ना,
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उन पर उगीतिलार्याों और हैथतिलार्याों की आघात सं ध्वतिन उत्पन्न कीी जाती है, तितन, तितन,ना। तिलाखते संमार्या नवाीं कीे र्शाी�व पर’ र्शाून्य ‘(0) कीा तिनर्शाान अंतिकीत
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तिजसंसं ताला कीा तिनमााण हैोता है। तिकीर्याा जाता है। चुौथा और अतितमा खड 13वाीं माात्रा सं र्शारू हैोती है।
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तरहैवाीं,चुौ�हैवाीं ,पद्रहैवाीं और संोलावाीं माात्रा।इसं चुौथ खड कीो �र्शाान की
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�ाला क्याा ही ? तिलाए तरहैवाीं माात्रा की ऊपर र्याा र्शाी� पर’ 3’अकी तिलाखा जाता है। र्याति� आपकीा
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प्रश्न है तिकी चुौथ खड पर अकी 3 क्योों तिलाखा गीर्याा ,तो ऐसंा इसंतिलाए क्योोतिकी नवाीं
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र्याहै एकी आ�ारभूत प्रश्न है। संाथ हैी इसंकीी परिरक्रमाा कीसं हैोती है ? तो संरला माात्रा जो खालाी कीहैलााता हैै ,पर तालाी नहैीं बंजार्याी जाती हैै इसंतिलाए चुौथे खंड
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भूा�ा मा कीहैा जा संकीता है तिकी तिजसं प्रकीार हैमा संमार्या कीो घट, तिमानट र्याा कीो तीसंरी तालाी भूी कीहैते हैं।
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संकीण्ड मा तिवाभूातिजत कीरत है ,वा ति�खाई नहैीं �त पर हैमा माहैसंसं कीरत है।
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जसं संकीण्ड कीी संई तिटकी-तिटकी आवााज़ कीरती है , उसंकीी आवााज़ बं� कीर इसं प्रकीार इन संोलाहै माात्राओं कीी श्रृृखलाा कीो एकी आवातवन
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�ी जाए और उसंकीी चुाला कीो हैमा अपन हैाथों द्वाारा अ�ाजा कीरकी स्वत कीहैते हैै। इसंे आ�ार माानकीर कीलााकीार अपनी कीलाा कीा प्र�र्शावन कीरते हैं
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आवााज़ उत्पन्नकीर �र्शाान लागी तो र्याहै एकी प्रकीार सं ताला कीा तिनमााण हुआ तथा इसंमां बंां� कीर अपनी गीतित तथा अपनी तैर्याारी द्वाारा श्रृोता कीा मानोरंजन
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र्याानी संमाान अतराला पर ध्वतिन उत्त्पन्न कीरना ताला उत्पन्न कीरन जसंा है तो कीरते हैं। ताला कीी गीतित कीलााकीार कीी इच्छाानुसंार बंढ़ीाई र्याा घटाई जाती हैै।
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आस्तिखर इसंकी तिकीतन आवातन (तिकीतनी बंार) हैों। र्याहै प्रश्न तिहै�स्तुानी र्शाास्त्ीर्या ताला कीलााकीार कीो आ�ार तो प्र�ान कीरता हैी हैै संाथ हैी कीलााकीार अपनी
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संगीीत मा अत्यति�की माहैत्वपण है क्योोंतिकी इन्हीीं संक्षमा तथ्योों पर ताला कीी रूप- गीतित, तर्याारी और ताला की संवााला-जवााबं जसं चुमात्कृारी प्र�र्शान कीर श्रृोताओं
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रखा कीा तिनमााण हैोता है। ताला कीो संमाझन की तिलाए मा प्रार्याोतिगीकी रूप सं तीन कीो मांत्रमाुग्ध और प्रसंन्न कीर पाते हैं। ताला कीे संहैर्याोगी संे गीार्यान,वाा�न और
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ताला कीा उ�हैारण प्रस्तुत कीर रहैी हूँ। इन्ही इसं प्रकीार संमाझ। संोलाहै बंार नृत्य कीी प्रस्तुुतित मां खालाीपन नहैीं रहैता बंस्ति� ठहैरावा और जीवांतता आती
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आघात कीरन पर तीन ताला कीा तिनमााण हैोता है। संागीीतितकी भूा�ा मा प्रत्यकी हैै। अत ताला संंगीीत कीा अतिभून्न अंगी एवां आ�ार हैै।
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