Page 71 - Sanidhya_2024
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सगी� मां �ाला केा माहीत्त्वा
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सगीत ईश्वारा काी उत्कृष्ट् कालाकाहित �। सतत प्रवाा�माना, पहिवा�, पावाना, ज़ोरा स आघात काी जीाती � या यों का� ं
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सरास एवा सजीनाात्मका। सगीत काी उत्पाहित्त सहिष्ट् का साथ �ी �ो �काी थी। वास्तत� बजीाई जीाती �,हिजीसस य� आभास �ोता
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प्रकाहित म हिछूप अभतपवा सौन्दयात्मका तत्त् , मनाष्य काो स्वीत� �ी अपनाी ओंरा � हिका य�ा स ताल काी शुरुआत �ो रा�ी
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आकाहिर्षत कारात � ,औरा इसी आकार्षण ना काला काो जीन्म हिदेया। म�ाना �।इस आराहिभका स्थााना या प�ली मा�ा काो
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हिवा�ाराकाअरास्त ना भी का�ा � ै सम का�त �। सम काो सागीहितका भार्षा म ं
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”प्रकासिंती काा अनसो�णी ही काला ह।” ‘X’हि�न्हे का द्वााराा देशुात �। �रा खडो का
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लहिलत कालाओंं म सवााहि�का म�त्त् सगीत काो �ी हिदेया गया �। अतगत �ारा मा�ाओं काा समावाशु �ोता
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सगीत गायना ,वाादेना एवा नात्य इना तीनाों हिवा�ाओंं काा हि�वाणी � ,हिकान्तु एका सत्य �, हिजीनाका हिलए सागयहितका भार्षा म नाा
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य� भी � हिका इना तीनाों हिवा�ाओंं काा सगीत का अतगत पारास्परिराका सब� भी �। ,हि�ना ,हि�ना ,नाा शुब्दोोच्चोारा स कारात �।
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�ालाहिका प्रत्यका काा अपनाा हिनाजीी अन्धिस्तत्व भी �। य तीनाों काला अपनाी अपनाी सम काा हिनाशुाना (X) काो प�ली मा�ा का
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श्रीीमतीी नसिंलनी प्रभाा,
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सीमाओंं म स्वीत� रूप स हिवाकाहिसत भी हुई औरा �ो भी रा�ी �। हिकान्तु जीब य े शुीर्ष परा अहिकात काी जीाती �। देसरा खडो पत्नीी श्रीी सजीय कामारा हिस�,उप म�ाहिनाराीक्षाका
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तीनाों हिवा�ाए सन्धिम्माहिलत �ोकारा प्रकाटे �ोती � तो सगीत काा �मत्कृारा अवाणनाीय काी शुरूआत पा�वाी मा�ा स �ोगी ग्रुप कान्द् कारिरापबल, सबलपरा
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रूप स हिनाखारा कारा प्रस्तत �ोता �। सगीत काी प्रस्तहित म ताल काा स�योग हिजीसका शुीर्ष परा 2 अका हिलखग अत�
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अत्यत म�त्वपण � या यों का� हिका ताल का हिबनाा ना तो गायना,वाादेना काो पण रूप देसरा खडो काो देशुाना का हिलए 2 अका काा
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स देशुाया जीा सकाता � औरा ना �ी नात्य-काला काो आन्धिखरा क्योों ? हिनाशुाना देत �।प�ल खडो का समाना �ी देसरा खडो काी शुरूआत काो देशुाना का
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हिलय पा�वाीं मा�ा का शुीर्ष परा अका 2 हिलखा जीाता �। इसका अतगत भी �ारा
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तो उत्तरा � हिका ताल एका आ�ारा काा हिनामाण काराता �,हिजीस �म नाीवा का�त े मा�ाओंं काा समावाशु �।अथात पा�वाी,छूठाी
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�।य� एका परिराहि� काा हिनामाण काराता � ,हिजीसपरा ,सातवाीं औरा आठावाीं मा�ा तका। इस भी
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गायना,वाादेना एवा नात्य एका परिरा�मा सागयहितका भार्षा म प�ल खडो का
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काो कााल्पहिनाका रूप स म�सस कारा सामाना �ी उच्चोाराण कारात � :--नाा,हि�ना
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औरा आ�ारा मानाकारा काला काा ,हि�ना ,नाा। हिकान्तु नावाीं मा�ा,जीो’
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सजीनाात्मका प्रदेशुना कारा पात �। जीब �म तीनाताल ‘ काा मध्य स्थााना � ,का आना े
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ताल काी परिरा��ा कारा रा� � तो य� भी परा,अगहिलयों काी �ाल बदेल देी जीाती
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जीानानाा आवाश्यका � काी ताल काो देशुाना े �। य� स्थााना तीसराा खडो � एवा एका
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का हिलए हिजीना ताल वााद्योों काा हि�देस्तानाी म�त्वपण पड़ावा �.नावाीं मा�ा काो
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शुास्त्ीय सगीत म प्रयोग हिकाया जीाता � ै प्रभावाकााराी तराीका स प्रस्तत कारानाा
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,उनाम प्रमख वााद्यो तबला ,मदेगम ,पग अत्यत राोमा�कााराी प्रतीत �ोता �।
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,ढोोलका ,घटेकाम आहिदे � ,हिजीनाका मख काा इस खडो काो(मध्य स्थााना )’ खाली
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आकारा प्राय� काटेोराानामा �ोता �। ज़्यादेातरा ‘का�त �।जीग� परा अलग औरा
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ताल वााद्योों का मख परा �मड़ी काी �ादेरा मढ़ी �ीमी आवााज़ आना परा य�
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जीाती �, हिजीस सागीहितका भार्षा म पड़ी का�त � ं ए�सास �ो जीाता � हिका य�
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हिजीसका उपरा गोलाकाारा कााल राग काी स्या�ी मध्य स्थााना आ �काा � ,इसका
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बनाती �। उनापरा अगहिलयों औरा �थहिलयों का अतगत हिजीना �ारा मा�ाओंं काा समावाशु � ,नावाीं ,देसवाीं
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आघात स ध्वहिना उत्तपन्नो काी जीाती �,हिजीस ताल ,ग्यारावाीं ,औरा बारा�वाीं ;उन्हे इस प्रकाारा उच्चोाराण कारात � -नाा ,हितना ,हितना ,नाा।
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काा हिनामाण �ोता �। ताल हिलखत समय नावाीं का शुीर्ष परा’ शुन्य ‘(0) काा हिनाशुाना अहिकात हिकाया जीाता �।
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क्योा � ? �ौथा औरा अहितम खडो 13वाीं मा�ा स शुरू �ोती �। तरा�वाीं,�ौदे�वाीं ,पद्री�वाीं
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औरा सोलवाीं मा�ा।इस �ौथ खडो काो देशुाना का हिलए तरा�वाीं मा�ा का ऊपरा या
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य� एका आ�ाराभत प्रश्न �। साथ �ी इसकाी परिरा�मा कास �ोती � ै शुीर्ष परा’ 3’अका हिलखा जीाता �। यहिदे आपकाा प्रश्न � हिका �ौथ खडो परा अका 3
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?तो सराल भार्षा म का�ा जीा सकाता � हिका हिजीस प्रकाारा �म समय काो घटे ,हिमनाटे क्योों हिलखा गया ,तो ऐसा इसहिलए क्योोहिका नावाीं मा�ा जीो खाली का�लाता � ,परा
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या सकाण्ड म हिवाभाहिजीत कारात � ,वा हिदेखाई ना�ीं देत परा �म म�सस कारात �। ताली ना�ीं बजी जीाती � इसहिलए �ौथ खडो काो तीसराी ताली भी का�त �। ं
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जीस सकाण्ड काी सई हिटेका-हिटेका आवााज़ काराती � , उसकाी आवााज़ बदे कारा देी
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जीाए औरा उसकाी �ाल काो �म अपना �ाथों द्वााराा अदेाज़ काराका स्वीत� आवााज़ इस प्रकाारा इना सोल� मा�ाओंं काी श्रीखला काो एका आवातना
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उत्तपन्नो कारा देशुाना लग तो य� एका प्रकाारा स ताल काा हिनामाण हुआ यानाी समाना का�त �। इस आ�ारा मानाकारा कालाकाारा अपनाी काला काा प्रदेशुना कारात � तथा
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अतरााल परा ध्वहिना उत्त्पन्नो कारानाा ताल उत्तपन्नो काराना जीसा � तो आन्धिखरा इसका इसम बा� कारा अपनाी गहित तथा अपनाी तयाराी द्वााराा श्रीोता काा मनाोराजीना कारात े
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हिकातना आवातना (हिकातनाी बारा) �ों। य� प्रश्न हि�देस्तानाी शुास्त्ीय सगीत म ं �। ताल काी गहित कालाकाारा काी इच्छीानासारा बढ़ाई या घटेाई जीाती
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अत्यहि�का म�त्वपण � क्योोंहिका इन्हेी सक्छूम तत्थ्योों परा ताल काी रूप राखा काा �।तालकालाकाारा काो आ�ारा तो प्रदेाना काराता �ी � साथ �ी कालाकाारा अपनाी
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हिनामाण �ोता �। ताल काो सम�ना का हिलए म प्रायोहिगका रूप स तीनाताल काा गहित, तयाराी औरा ताल का सवााल-जीवााब जीस �मत्कृाराी प्रदेशुना कारा श्रीोताओंं काो
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उदे�ाराण प्रस्तत कारा रा�ी हूँ। इन्हे इस प्रकाारा सम�। सोल� बारा आघात काराना े म�मग्ध औरा प्रसन्नो कारा पात �। ताल का स�योग स गायना,वाादेना औरा नात्य काी
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परा तीना ताल काा हिनामाण �ोता �। सागीहितका भार्षा म प्रत्यका आघात काो मा�ा प्रस्तहित म खालीपना ना�ीं रा�ता बन्धिल्क ठा�राावा औरा जीीवातता आती �। अत� ताल
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का�ा जीाता �।इना सोल� मा�ाओं काो �ारा खण्डों म हिवाभाहिजीत हिकाया जीाता �। सगीत काा अहिभन्नो अग एवा आ�ारा �। ै
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प्रत्यका खडो काो बजीाना का हिलए या आघात काराना का हिलए अगहिलयों काी अलग
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�ाल औरा अलग वाजीना �ोती �। प�ल खडो का प�ली मा�ा परा ठा�राावा का साथ
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