Page 94 - Sanidhya_2024
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जेीवान परा माानतिसके�ा केा प्रभुावा
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मानाहिसकाता वा� रूप � जीो �रा मानावा जीाहित काी सो� काो बा� देती �। मानाहिसकाता काा असरा �माराी सो�,
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स्वीास्थ् औरा व्यवा�ारा परा पड़ता �। �म हिजीस वाातावाराण म रा�त � वा�ा का रा�ना स�ना काो देखत एवा हिवा�ाराों
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काो सनात औरा म�सस कारात � हिजीसकाा सी�ा प्रभावा �माराी मानाहिसकाता काो प्रदेहिशुत काराता �।
“या तीो मानसिंसोकातीा काा बाड़ा खल ह ै
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काहो तीो आपुकाो ह� खल म �ीती सिंदला द े
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औ� काहो तीो आपुकाो ह� खल म माती सिंदला द”
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Smt. Neetika Singh
W/o HC/GD Prem Chand,
GC CRPF Greater Noida
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म मानाती हूँ हिका �रा मानावा जीाहित काी मानाहिसकाता म परिरावातना �ोता � लहिकाना एका समय ऐसा आता � जीब �म हिकासी ना
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हिकासी परिरान्धिस्थाहित म ऐसा फेस जीात �, जी�ा स काोई राास्ता ना�ीं हिदेखता। �माराा हिदेमाग मानाहिसका तनाावा म उल� जीाता
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� औरा मना बरा हिवा�ाराों स हिघरा जीाता � उस एका पल म �म अपनाा जीीवाना तका त्यागना काो तयारा �ो जीात �। य�ी �माराा
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कामजीोरा हिबदे �ोता �। हिजीसकाो �म अपना ज्ञााना का प्रकााशु स, अपनाी प्रबल मानाहिसकाता स �राा सकात �। जीीवाना का
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प्रकााशु काी ओंरा जीीत काा कादेम बढ़ा सकात �।
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मरा हिप्रय पाठाकाों �म अपनाी मानाहिसकाता काो शुन्धिक्तशुाली औरा मजीबत बनाानाा �ोगा। इसका हिलए �म �मशुा स्वीच्छी, सदेरा
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औरा सकााराात्मका हिवा�ाराों काो अपना अदेरा जीन्म देनाा �ोगा। मानाहिसकाता म बदेलावा का हिलए �म पस्तका पढ़ सकात �,
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योग कारा सकात �, अपनाी सगहित काो अच्छी व्यन्धिक्तयों म शुाहिमल कारा सकात �। �माराी मानाहिसकाता प्रभावाशुाली
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सकााराात्मका �ोगी तभी तो �म एका स्वीस्था, सन्दरा समाजी काा हिनामाण कारा सकात �।
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“�बा हम अच्छा सोोचगो तीो अच्छ सिंवाचा� आयागो े
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अच्छ सिंवाचा� आयागो तीो हम अद� सो खशा �हगो े
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औ� अगो� हम खशा �हगो तीो हमशाा मानसिंसोका
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औ� शाा�ीरि�का रूपु सो स्वस्था �हगो । ”