Page 98 - Sanidhya_2024
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भार� क र्ीर “लोगो और टगलाइ�”
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काद्रीीय ग� म�ी जीी द्वााराा 09 अप्रल, 2017 काो “भारात का वाीरा” पोटेल काो लॉन्च हिकाया गया था, हिजीसकाा उद्दीश्य उना
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लोगों काो सहिवा�ा प्रदेाना कारानाा था जीो काद्रीीय सशुस्त् पहिलस बलों, असम रााइफेल्स औरा रााष्ट् ी ीय सराक्षाा गाडो (NSG) का शु�ीदेों का
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परिराजीनाों (NOKs) काो देाना देनाा �ा�त �। देानाकाता, पोटेल/वाबसाइटे का माध्यम स सी� परिराजीनाों का खात म या भारात का
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वाीरा नाामका काोर्ष म योगदेाना कारा सकात �। भारात का वाीरा का माध्यम स े हिकाए गए सभी योगदेाना आयकारा अहि�हिनायम,
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1961 काी उप�ाराा 80 (जीी) का त�त आयकारा स मक्त �। देानाकाता व डोहिबटे/�हिडोटे कााडो, यहिनाफेाइडो पमटे
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इटेराफेस (यपीआई) का माध्यम स औरा भारात का वाीरा का नााम स (In favour of ) �का /
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डोाफ्ट का माध्यम स भी योगदेाना कारा सकात �। ‘भारात का वाीरा टे�’ काॉपोराटे सोशुल
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रिरास्पोंकिन्धि�हिलटेी (CSR) का त�त पजीीकात � हिजीसका फेलस्वीरूप काॉपोराटे नवा�ोती काौ�
पत्नीी श्रीी हिवाजीय कामारा बस, 2IC
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सक्टूरा भी शु�ीदेो का परिरावााराों का काल्यााण का हिलए ‘भारात का वाीरा काोर्ष‘ म ं स्पशुल सल (काल्यााण)म�ाहिनादेशुालय
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अपनाा योगदेाना दे सकात �। कान्द्ीय पहिलस बलो का हिवावााहि�त शु�ीदेों का
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माता-हिपता काो भारात का वाीरा काोर्ष स हिदेनााका 01.05.2020 स 10 लाख रुपय काी हिवात्तीय स�ायता
प्रदेाना काी जीाती �। इसका अहितरिराक्त भारात का वाीरा काोर्ष स 10 लाख रुपय उना कान्द्ीय पहिलस बलों का
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जीवाानाो काो प्रदेाना हिकाय जीात � जीो सहि�य ड्यूटेी का देौरााना अशुक्तता या घायल �ोना का उपराात सवााहिनावात्त
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हुए �। य� प्रावा�ाना हिदेनााका 01/01/2021 काो या उसका बादे अशुक्तता/घायल �ोना का उपराात सवााहिनावात्त हुए
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जीवाानाो परा लाग �। ै
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अहि�का दृश्यता औरा जीना सम� तका पहु� का हिलए भारात का वाीरा टे� का हिनाम्नहिलन्धिखत “लोगो औरा टेगलाइना” काा
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हिनाणय हिलया गया �, हिजीन्हे सराकााराी �शुनाराी/पस्तकाों औरा समय-समय परा म�त्वपण अवासराों परा प्रमख स्थाानाों परा प्रदेहिशुत हिकाए जीाना वााल हिवाहिभन्नो सराकााराी
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�ोहिडोग्स परा हिवाज्ञााहिपत/महिद्रीत हिकाया जीानाा आवाश्यका �। ै
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भाा�ती का वाी� “लोगोो” काा सिंवावा�णी:
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“शाौया, सोाहसो औ� बासिंलदान काा सिंचत्रापुटी(टीपुस् टीी)”।
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“भारात का वाीरा” का प्रतीका का रूप म �म भारात का काद्रीीय सशुस्त् पहिलस बलों का अदेम्य सा�स का प्रहित अत् यत श्री�ा काा भावा राखत �, य� एका
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उत्कृष्ट् काहित � जीो हिका शुौय, सा�स औरा बहिलदेाना काा सारा समटे हुए �। इस प्रतीका का प्रत्यका तत्व काो �मारा रााष्ट् ी काी अनाकाता म एकाता का ताना-बाना स े
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प्रराणा लत हुए सावा�ानाीपवाका तयारा हिकाया गया �। भारात का वाीरा “लोगो” का हिलए �ना गए राग �मारा हितराग का प्रहित एका मौना श्री�ाजीहिल �, जीो �मारा रााष्ट् ी ीय
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ध्वजी काो सशुोहिभत काराना वााल कासरिराया, सफेदे औरा �रा राग काी प्रहितध्वहिना काो प्रहितहिबहिबत कारात �। य राग ना कावाल �मारा म�ाना रााष्ट् ी काी एकाता औरा अनाकाता
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का प्रतीका �, अहिपत �माराी प��ाना, शुन्धिक्त, शुाहित औरा जीीवातता काो भी देशुात �। सामजीस्यपण पराका का तौरा परा, गरिरामापण नावाी ब्ला राग एका हिद्वातीयका राग
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का रूप म कााय काराता �, जीो प्रतीका का म�त्व काो देशुाता �। ै
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प्रतीका का काद्री म कााल राग काी उल्टीी बदेका का ऊपरा राखा गया जीतनाी �रा राग काा राखा गया �लमटे एका शुन्धिक्तशुाली दृश्य � जीो �मारा सहिनाकाों
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का अदेम्य सा�स औरा ब�ादेराी काो श्री�ाजीहिल देता �। इस माहिमका छूहिवा का �ाराों ओंरा गहूँ का देाना �, जीो �मारा हिदेवागत प्र�ानाम�ी श्रीी लाल ब�ादेरा शुास्त्ी का
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शुाश्वात शुब्दीों- “जीय जीवााना, जीय हिकासाना” का हिलए एका माहिमका श्री�ाजीहिल �-एका शुाश्वात स् महित हिका �माराी सीमाओंं का राक्षाका �माराी भहिम का कार्षकाों काी तरा�
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�ी म�त्वपण �। ं
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अक्षाराों काी एका सध् वााहिनाकाा म, “शुौय”, “सा�स” औरा “बहिलदेाना” शुब्दी अहिकात �, जीो प्रतीका का अत म समपण भावा का हिलए प्रहितहिबहिबत �। य शुब्दी
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एका पराम म�त्व का साथ प्रहितहिबहिबत �ोत �, जीो �मारा सशुस्त् बलों काी आत्मा काी एका �लका प्रस्तत कारात �। “शुौय” वाीराता काी बात काराता �, एका अटेटे
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दृढ़ सकाल्प जीो �मारा ब�ादेरा सहिनाकाों काी रागों म ब�ता �। “सा�स” उनाका अदेम्य सा�स, एका हिनाडोरा भावानाा काो देशुाता � जीो प्रहितकाल परिरान्धिस्थाहितयों काा
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डोटेकारा सामनाा काराता �। अत म, “बहिलदेाना” रााष्ट् ी काी सवाा म हिकाए गए सवाोच्चो बहिलदेाना काो प्रदेहिशुत काराता �।
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इनाका अक्षारा अपना आप म एका दृश्यात् मका छूहिवा बनाात �, हिजीसम “भारात का वाीरा” काो �मकाील कासरिराया राग म सा�सपवाका हिलखा गया �, एका
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ऐसा राग जीो शुन्धिक्त औरा ब�ादेराी काो देशुाता �। इसका बादे “शुौय”, “सा�स” औरा “बहिलदेाना” अक्षारा �, हिजीनाम स प्रत्यका �मारा रााष्ट् ी ीय ध्वजी का हृदेय स हिलए
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गए शुाहित का प्रतीका �रा राग स सशुोहिभत �। इस व्यवास्थाा म, य� प्रतीका रााष्ट् ी काी एकाता औरा अखडोता काा एका जीीवात प्रमाण बना जीाता �, जीो भारात का वाीरा
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का मल हिस�ातों काो समाहि�त काराता �। ै
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इस प्रकाारा, भारात का वाीरा “लोगो” कावाल एका प्रतीका का रूप म ना�ीं अहिपत रागों, आकाहितयों औरा अक्षाराों म उकाराी गई एका गाथा का रूप म ं
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अवालहिबत � - �माराी सीमाओंं काी राक्षाा काराना वााल औरा रााष्ट् ी काी एकाता एवा अखडोता का राक्षाकाों काी ब�ादेराी, बहिलदेाना औरा अटेटे प्रहितब�ता का हिलए एका
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माहिमका श्री�ाजीहिल। य� एका ऐसा प्रतीका � जीो समय स परा �, एका ऐस रााष्ट् ी काी भावानाा काो देशुाता � जीो एकाजीटे �, ल�ीला � औरा अपना वाीरा राक्षाकाों का
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प्रहित सदेवा ऋणी �।
जय निहांदे !