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                         " जमसवार मुवा सॊघ" सभान ववचायधाया यखन वार व्मक्ति का
                                                                                         े
                                                                                               े

              ऐसा सभूह है जो सकायात्भक सोच यखिा है एवॊ उनभें सभाज सवा का बाव
                                                                                                  े

              होिा ह। सॊघ अऩन सभाज की एकिा, अखॊडिा, बाईचाया एवॊ प्रभ को
                                       े
                                                                                                 े
                       ै

              अऺुण्ण फनान क े लरए प्रमासयि यहिी ह। मह अऩन सभाज क े ववकास एवॊ
                                 े
                                                                   ै
                                                                                   े

              बराई क े लरए सभम-सभम ऩय छोटा-छोटा प्रमास कयिी यहिी ह। मह
                                                                                                   ै

              सभाज क े हय वगग मथा फुजुगग, मुवा, भहहरा, ववद्माथी, ककसान सबी क े

              लरए उत्ियदाई ह। सॊगठन मह ऩीडीएप भैगजीन प्रकालिि कयक सभाज
                                    ै
                                                                                                  े

              क े उन व्मक्ति, ववद्माथी, फच्च, सॊगठन क े सदस्म इत्माहद क े वविेष
                                                       े

              प्रतिबा का उजागय कयन क े साथ-साथ उनका हौसरा आपजाई कयना
                                               े


                 चाहिी है,  क्जनभ कवविा, कहानी, ऩेंहटॊग, आरख,इत्माहद लरखन का
                                                                            े
                                     े
                                                                                                    े

              वविेष गुण ह।
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