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यह ताकत ह द भाषा और गागर म सागर भरने वाले क व बहार म ह हो सकती है।
राजनी तक कटा एवं जनमानस क भाषा:
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भारत क वतं ता ाि त क उपरांत जब पं. जवाहरलाल नेह जी ने ब न क महारानी को भारत आगमन का योता
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दया था, तब नागाजन ने राजनी तक यंग करत हए आम जनता क यथा कह थी, यह उसी जनता क यथा थी।
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िजसका शोषण अ ज ने सकड़ साल तक कया था और वतं ता ाि त क उपरांत टन क महारानी क वागत क
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तया रयां चल रह थीं।।
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आओ रानी हम ढोएंग पालक यह हई ह राय, जवाहरलाल क , रफ कर ग फट पराने साल क यह हई ह राय,
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जवाहरलाल क , आओ रानी हम ढ़ोयग े पालक । इस तरह का राजनी तक कटा करने का साहस हमार भाषा ह द म ह।
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परमा ध क उपदश का मा यम:
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कसी यि त का हत करना और मधर स ब ध एवं ात व क भावना था पत करने स बढ़कर शायद ह कोई अ य
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परमाध होगा। िजसक रणा हमार ह द भाषा ने स पण व व म पहंचायी है। िजसका सार हमारे रह म ने ह द भाषा
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क मा यम स कछ इस कार कया ह ै
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ज गर ब पर हत कर , त े रह म बड़ लोग।
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कहां सदामा बापरो, क ण मताई जोग।।
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ह द स झलकता वा भमान:
हम भारतीय को अपने पवजो स मल इस ह द भाषा पी स प पर अ य त ह गव ह। हम ह द बोलने और
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ह द तान म नवास करने पर भी अ यंत वा भमान जो हमार ह द क वताओ क मा यम स भी झलकता ह: ै
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मन क धन, वे भाव हमार ह खर ।
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जोड़-जोड़कर, िज ह पवज ने भर ।।
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उस भाषा म जो है, उस थान क ।
उस ह द म जो है, ह द तान क ।।
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उसम जो कछ रहेगा, वह हमारे काम का।
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उसस ह होगा गौरव, अपने नाम का।।
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- रा क व मथल शरण ग त-
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ह द भाषा क व वधता म एकता:
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लोकोि त क मा यम स कहा गया हः ै
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कोस कोस पर बदल पानी, चार कोस पर बानी ।
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अथा त यक कोस पर पानी का वाद बदल जाता ह और चार कोस पर बोल बदल जाती ह।
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उपसंहार:
हमार ह द भाषा क अ भत वशषताएं ह , जो अपने आप म अ वतीय है। अत: हम अपनी मातभाषा को लखने,
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पढ़ने कामकाज म , बोलने म ाथ मकता कट करत े रहना है तथा अपने आपको इसी कार गौराि वत महसस करना है।
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हम अ य भाषाएं जस क अ जी, उद, त मल, तलग आ द सम त भाषाओ पर नेह एवं दा रखनी ह तथा सीखने म
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ची रखनी ह। य क यक भाषा अपने े वशष म भाव एवं वचार क आदान- दान का मा यम होती ह। जस क
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अ जी अ तरा य भाषा क प म था पत ह। अत: हम सभी भाषाएं सीखनी ह, पर त हम अपनी ह द भाषा को
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ाथ मकता दत हए अ तरा य भाषा क प म था पत करना ह।
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हमांश श ला,
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तकनी शयन ड-।।।
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वमं वइजी/गा /वाता/वा को-द-गागा
रा ीय यवहार म िहंदी को काम म लाना दश े क एकता और उ नित क े िलए आव यक ह। ै
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-महा मा गाधी