Page 3 - Pratibimba 34 final_Neat1
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                                                                                                       - ितिब
                                                                                                       - ितिब
                                                                                                                 ं
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      द  ण पि चम रलवे                                       3                                        ई- ितिबब
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        ह बि ल मंडल
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           यह ताकत  ह  द  भाषा और गागर म  सागर भरने वाले क व  बहार  म  ह  हो सकती है।
           राजनी तक कटा  एवं जनमानस क  भाषा:
                                     े
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               भारत क   वतं ता  ाि त क उपरांत जब पं. जवाहरलाल नेह  जी ने  ब न क  महारानी को भारत आगमन का   योता
                                                                           े
            दया था, तब नागाजन ने राजनी तक   यंग करत हए आम जनता क    यथा कह  थी, यह उसी जनता क    यथा थी।
                                                     े
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           िजसका शोषण अ ज  ने सकड़  साल तक  कया था और   वतं ता  ाि त क उपरांत   टन क  महारानी क   वागत क
                                                                                      े
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           तया रयां चल रह  थीं।।
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                                   े
               आओ रानी हम ढोएंग पालक  यह  हई ह राय, जवाहरलाल क , रफ कर ग फट पराने साल क  यह  हई ह राय,
                                                   ै
                                                                                    े
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           जवाहरलाल क , आओ रानी हम ढ़ोयग   े पालक । इस तरह का राजनी तक कटा  करने का साहस हमार  भाषा  ह  द  म  ह।
                                                                                                              ै
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           परमा ध क उपदश का मा  यम:
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               कसी   यि त का  हत करना और मधर स  ब  ध एवं  ात  व क  भावना   था पत करने स बढ़कर शायद ह  कोई अ  य
                                                                                        े
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           परमाध होगा। िजसक   रणा हमार   ह  द  भाषा ने स  पण  व  व म  पहंचायी है। िजसका  सार हमारे रह म ने  ह  द  भाषा
                                                             ू
                                                                      ु
           क मा  यम स कछ इस  कार  कया ह   ै
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                      े ु
               ज गर ब पर  हत कर , त े रह म बड़ लोग।
                े
              कहां सदामा बापरो, क  ण  मताई जोग।।
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            ह  द  स झलकता   वा भमान:
               हम भारतीय  को अपने पवजो स  मल  इस  ह  द  भाषा  पी स  प   पर अ  य  त ह  गव ह। हम   ह  द  बोलने और
                                          े

                                                                                            ै
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            ह  द  तान म   नवास करने पर भी अ  यंत   वा भमान जो हमार   ह  द  क वताओ क मा  यम स भी झलकता ह: ै
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                                        े
                मन क धन, वे भाव हमार ह  खर ।
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              जोड़-जोड़कर, िज  ह  पवज  ने भर ।।
                                    ू
                       उस भाषा म  जो है, उस   थान क ।
                     उस  ह  द  म  जो है,  ह  द  तान क ।।
                                           ु
              उसम  जो कछ रहेगा, वह  हमारे काम का।
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                  े
              उसस ह  होगा गौरव, अपने नाम का।।
                                                        ै
                                          - रा   क व मथल शरण ग  त-
                                                                  ु
            ह  द  भाषा क   व वधता म  एकता:
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           लोकोि त क मा  यम स कहा गया हः ै
                               े
                               े
               कोस कोस पर बदल पानी, चार कोस पर बानी ।
                                                                                          ै
               अथा त    यक कोस पर पानी का   वाद बदल जाता ह और चार कोस पर बोल  बदल जाती ह।
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           उपसंहार:
              हमार   ह  द  भाषा क  अ भत  वशषताएं ह , जो अपने आप म  अ  वतीय है। अत: हम  अपनी मातभाषा को  लखने,
                                            े
                                                                                                  ृ
                                      ु
           पढ़ने कामकाज म , बोलने म   ाथ मकता  कट करत े रहना है तथा अपने आपको इसी  कार गौराि वत महसस करना है।
                                                                                                      ू
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           हम  अ  य भाषाएं जस  क अ जी, उद, त मल, तलग आ द सम  त भाषाओ पर   नेह एवं   दा रखनी ह तथा सीखने म
                                   ं
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            ची रखनी ह।   य  क    यक भाषा अपने  े   वशष म  भाव  एवं  वचार  क आदान- दान का मा  यम होती ह। जस  क
                                                                                                             े
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           अ जी अ  तरा     य भाषा क  प म    था पत ह। अत: हम  सभी भाषाएं सीखनी ह, पर  त हम  अपनी  ह  द  भाषा को
                                   े
                                                   ै
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            ाथ मकता दत हए अ  तरा     य भाषा क  प म    था पत करना ह।
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                                                                 ै
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                                                                                              हमांश श  ला,
                                                                                                 ु
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                                                                                                      तकनी शयन  ड-।।।
                                                                                        ं
                                                                                  वमं वइजी/गा /वाता/वा  को-द-गागा
              रा  ीय  यवहार म    िहंदी को काम म    लाना दश े  क  एकता और उ नित क े  िलए आव यक ह। ै
                                                                                                     ं
                                                                                                                                                                     -महा मा गाधी
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