Page 246 - Udaan 2019-2021...................
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          गु    श य आनलाइन                                              गु  करत ह गुहार

                                                                            े
          माल वका नंद  ( श  का)                                         कहत ह पुकार पुकार
                                                                                     े
                                                                        अब छोड़ो हमार  ार ।
                                                                        ह कोरोना माता
                                                                         े
          गु    श य आनलाइन
          जब स आई कोरोना महामारी ,                                      अब तो
                े
          पढ़ाई  लखाई क   ई नई तैयारी ।                                  सुनो हमारी गाथा ।
          आनलाइन  श ा न अपनी ज़ोर पकड़ी ,                                 घर क  चारद वारी का
                          े
                                                                               ै

          गु   श य  म जोश थी तगड़ी ।                                     चूभता ह जो शूल
                                                                            े
                    छा  करन लग ह वाह वाह                                इसस तो अ ा होता
                            े

                        े
                                                                         क हम जाएँ अपन  कल,
                    मा बाप क   च ता स  नकली आह ।                                       े  ू
                  ँ
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                                                                                       ू
                                                                                    े
                    दना पड़ा जो ब   क हाथ म मोबाईल ,                     हम जाएँ अपन  कल।

                 े
                                 े
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                                 े
                     ब   क चेहर  पर दखो तो यह  माइल ।
          छा   क  लए तो मज़ा ही मज़ा ,
                े
                                 ै
           श क  को लगता द  गई ह सज़ा ।
          सुबह स खोलकर बैठना पड़ता क यूटर,
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          शाम होत होत लगन लगता यह टॉच र ।
                     ब  करत उलट पुलट सवाल ,
                    े
                                  े
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                     जानत ह,

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                     कोई नह  उधेड़ सकता उनक  खाल।
                     गु  अब घर बैठ ही कलबुलाए,
                                  ु
                              े
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                     न जान कब ऐस छा   क कान हाथ म आए।
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                              े
          जब  श  क करत ह सवाल

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          नेटवक इ य का मचता बवाल ।
          गु   क हाथ ह बंध जात,

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          ब  घर बैठ मंद मंद मु करात ।
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                                                                                              च  -  र  मा  सेन
                                                                                              क ा - 10 /11
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