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कोरोना वायरस
ँ
चाद हमारा !
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दखने को बाहर तरसते हम ,
अंदर ही अंदर ह एक गम ; ँ ं
ै
आर्ा चाद टगा है आसमान में,
खत्म होगा यह कोरोना कब ,
ें
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आ रह हैं सफद िादल,
ताकक हम सब ननकल ले अपने घरों से तब।
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ें
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यह एक ही ह कोरोना , लगत हैं िाप जस हिा म।
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जिसका बन गया ह अब एक ही नारा मुझसे मरोना ;
ें
र क उन् !
-
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लाखोंसैकडों मर हैं इसस े ,
-
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कही चाद क ही ना वपघला द,
ें
ना िाने ककतने और मरगे ;
ू
अगर यह वपघल गया त , तफान
दखने को बाहर तरसते हम
े
ै
अंदर ही अंदर ह एक गम ।
आ जाएगा,
नाम ह इसका कोविड-१९
ै
े
यह त पढा ही ह गा वकताि ं म!
,
आया भी ह यह साल म २०१९ ;
ै
ें
ज़म ीं से आसमान तक,
शुरू हआ था यह चीन स
े
ु
,
ै
ू
किर िला ददए ह इसने अपने पैर पूरी दुननया म ें ; फला है इसका नर।
ै
ै
ू
दखने को बाहर तरसते हम
अमावस से पनम तक,
े
,
अंदर ही अंदर ह एक गम ।
ै
है बदलता रहता यह अपन रूप ।
े
घर से बाहर ननकलते
,
ँ
सोलह कलाए,
ढक्कना ह मुंह मॉस्क से और हाथ गलॅिस स े ;
ै
ु
खद में समट चपचाप है बठा,
ु
ै
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ताकक यह िंग िीत पाए हम ,
ँ
ु
ीं
यह सदर चाद हमारा।
ें
और ना रह िाए बचने म क ु छ भी कम ;
ं
घर लौटने पर धोने हैं हाथ 20 सेकड तक ,
नहीं ह आदत डाललो अब
ै
चारवी जैन VIII-D
;
ै
सलामी ह उन कोरोना िॉररयसस को ,
िो लड रह ह बाहर और जिन्होंने अपनी िाने ली ह
ै
ै
े
खो ;
े
दखने को बाहर तरसते हम ,
ै
अंदर ही अंदर ह एक गम।
अमनपाल ससिंह
आठव िं स
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