Page 25 - 04-RISE-April-2021
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TEACHER’S CORNER
                                TEACHER’S CORNER



                      I HAVE A DREAM
                                                              here mankind lives in perfect harmony and love
      I have a dream
                                                              And vow to make this planet a hub
      Of a world united and sheen.
                                                              Of all their positive thoughts and endeavor
      Where people are free to express their opinion and
                                                              Thus, leading on to the path of grandeur.
      Are ready to sacrifice.
                                                              God,
      A world, full of love and respect and devoid of lies.
                                                              Help us to make this world free of rage
      A world like a big pot of stew
                                                              And give us strength to work towards our pledge.
      Where thoughts and ideas brew.
                                                              A world happy and grin
      Where people aspire to culminate
                                                                 And that is my dream.
      And make all barriers eliminate.

                                                                 BRINDA MAJUMDAR (English Dept)
      A world free of all wars and atrocities
                                                                 MIDDLE BOYS’
      And it is full of creativities.




                                                               शीशे की अब बि गई ह दीवार
                                                                              ै
                         क ु ि अहसास !!!
                                                              वो उस पार ... हम इस पार.......
      ि ू लों की बचगया सा सुदर हमारा स्क ू ल
                    ं
                                                                                      े
                                                              आभासी इस दौर में खुद को बदल रह हैं
          ं
              ं
               े
       ं
      सुदर रग-बबरग िात्र जजसमें, समक्ष ि ू ल
                                                              ट्रडडशिल / पारपररक लशक्षा का आधार बदल रह हैं|
                                                                        ं
                                                               े
                                                                                             े
                  े
      आज बदलते पररवश में ,उमड़े मि में क ु ि भाव
                                                                    े
                                                               बदल रह हैं जमाि क साथ
                                                                           े
                                                                            े
      पलट रही ह ू ाँ शब्दों में उिको जजिका
                                                                     ं
                                                                                  े
                                                              अब बस कप्यूटर , मोबाइल स होती ह लशक्षा की बात |
                                                                                       ै
      .हम सब पर ह ु आ प्रभाव|
                                                              घर को ददया कक्षा का रूप
      वो स्क ू ल क प्रांगण में आते ही
             े
                                                                          े
                                                              30 में स 20 को दख पाते हैं
                                                                    े
      गुड मोनििंग , सुप्रभात , हाय -हल्लो
                          े
                                                              मैं सुिाई-ददखाई द रही ह ू ाँ
                                                                          े
      की चहचहाहट, वो बैग लेकर भागते
                                                              ‘म्यूट योर माइक’... का पाठ बार- बार दोहराते ह|
                                                                                             ै
      चलते, बनतयाते बच्चों की आहट
                                                                                           े
                                                                               े
                                                              वो चुलबुली बातें, वो अिदखी घूरती आाँखों क बीच
            े
      मि को दता ह कचोट !
               ै
                                                                   ं
                                                              भाविाए पह ु ाँचािा कोई खल िहीं ह..
                                                                              े
                                                                                    ै
      शब्द मि क, आह मि की
             े
                                                              कभी कन्िेक्शि ि होिा , कभी िोट पवजज़बल
       े
      दख रहा इि सबकी ...बाट(wait)
                                                              ऑडीबल ..... पर आप हो ‘टीचर’. आपको
               े
      वो काला- सफ़द कक्षा का बोडद
                                                              रहिा होगा, अपिे स्थाि पर ‘स्टबल’|
                                                                                   े
      वो डस्टर, वो झाड़ि......
                                                              अब बदलकर ककताब को पी .पी. टी. िई बिाती ह ू ाँ
      वो रजजस्टर में अटेंडेंस लगािा
                                                                    े
                                                              24 में स 20 घट कप्यूटर पर बीताती ह ू ाँ|
                                                                         े
                                                                           ं
                                                                        ं
           े
      बच्चों स बोलिा , हाँसिा, डााँटिा
                                                                           े
                                                                                 ै
                                                              िए तरीक, लनििंग क करते ह search
                                                                    े
      समझािा- बनतयािा ...
                                                                                     े
                                                              ताकक सिलता क हर लशखर पर मेर िात्रों का हो  ‘वचदस्व’|
                                                                         े
                       ै
      बदला सब ,याद आ रहा ह गुज़रा जमािा |
                                                              ‘चुिौती” कसी भी हो ,लड़ जािा ह
                                                                                    ै
                                                                     ै
      स्टाि रूम की दोस्ती ...
                                                              यही बदलती पररजस्थनत से सीखिा और लसखािा ह |
                                                                                              ै
      वो लंच टाइम मस्ती..
                         े
      वो डडस्कशि, अपिी जज़दगी क
      िए- िए टॉपपक्स क                                        अचला शमाद
                   े
                  ं
      वो हर ददि, िया रग थीम, ले सजिा सजािा
                                                              दहंदी पवभाग
             ं
      िई बेस्ट रग स्पेशल की िारी बि क आिा
                             े
      बड़ा याद आ रहा ह गुजरा जमािा |
                  ै
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