Page 85 - केंद्रीय विद्यालय बड़ोपल ई- पत्रिका
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“If you can dream DREAMS




           it.. you can do it.”


                                                        ु
                 सपने..... आपने बहुत बार्र सना होगा र्क “सपने वो नहीं होते जो हम
                                                ै
                 सोने क े  बाि ि े खते ह,  सपने वो होते ह जो हमे सोने नहीं ि े ते।”
                                                                           ै
                  ै
                                               ु
                 मने भी बहुत बार्र सना ह,  हर्र र्कसी का कोई न कोई सपना जऱूर्र
                                                      ै
                 होता ह। इसी तर्रह मेर्रा भी एक सपना ह,एक लक्ष्य ह र्जस तक
                                                                             ै
                                                                                                ै
                          ै
                 मैं पहुचना चाहती ह  ं। मेर्रा सपना एक कॉलेज प्रोफ े सर्र बनने का ह।
                                                                                                                ै
                        ं
                 लोग कहते हैं र्क सपने ि े खो तो बडे ि े खो पर्र मेर्रा मानना ह र्क
                                                                                                          ै
                 “सपने चाहे छोटे हो चाहे बडे उन्हे पर्रा कर्रने म जी जान लगा िो।“

                                                                                     ें
                 और्र मैं बचपन से ही पढाने म रुर्च र्रखती ह  ं और्र डॉक्टर्र. सविपल्ली
                                                             ें
                 र्राधाकष्ट्णन जी को अपनी प्रेर्रणा मानती ह  ं क्योंर्क जब मैं छोटी थी
                       ृ
                 तो र्िक्षक र्िवस क े  अवसर्र पर्र मैंने मेर्र े  र्िक्षक से पछा की हम

                 आज क े  र्िन ही र्िक्षक र्िवस क्यों मनाते हैं तो उन्होंने कहा र्क

                                                        ृ
                 आज डॉक्टर्र सविपल्ली र्राधाकष्ट्णन जी क े  जन्मर्िवस क े  अवसर्र पर्र
                                                                     ै
                 र्िक्षक र्िवस इसर्लए मनाया जाता ह क्योंर्क वो एक महान र्िक्षक
                                                           ृ
                 थे र्जन्होंने हमार्र े  वेिों ,  संस्कर्तयों को बहुत गहर्राई से पढा था और्र
                 अपने र्वद्यार्थियों तक पहुचाया था,  उनक े  पास अपने भाव प्रकट कर्रने
                                                  ं
                    ु
                 हेत अनमोल िब्दों का भंडार्र था। तभी से मैं उनसे प्रेर्रणा लेती आ
                 र्रही ह  ं और्र अपने लक्ष्य को पाने क े  र्लए मेहनत कर्रती आ र्रही ह  ं।


                                                                                        ें
                           “हर्र सपने को अपनी सांसों म र्रखो ,


                           हर्र मंर्जल को अपनी बाहों म र्रखो ,
                                                                                       ें

                           हर्र जीत आपकी ह बस अपने लक्ष्यों
                                                                       ै

                                                                          ें
                           को अपनी र्नगाहों म र्रखो।

                     मुस्कान ,  कक्षा – नवमी ,  अनक्रमांक – 16
                                                                           ु





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