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अपने बिस्तर पर लेटे हुए मैंने दर्शन देखा
 मुझे अपना
 स्वप्न बताओ।  और मेरे सामने एक सन्देशवाहक था
                               े
                एक पवित्र दूत  स्वर्ग से नीच की
                    ओर आ रहा था।
 मैंने देखा  मेरे सामने
 पृथ्वी के मध्य में एक
 पेड़ खड़ा था।        उसने ऊँची
                    आवाज में कहा
 उसकी ऊंचाई बहुत
                        े
 अधिक थी। पेड़ बढ़ता   वह पृथ्वी की छोर से     पेड़ को काट कर नीच गिरा दो और उसकी
 और मजबूत होता गया     दिखाई देने लगा। उसमें बहुत   डालियों को छांटकर अलग कर दो
 और उसकी चोटी आकाश   सुन्दर और घनी पत्तियाँ थीं
 को छूने लगी    और उसमें फल भी बहुत ज्यादा थे
 और सभी के लिए उस पर   लेकिन तने और इसकी जड़ों को
  पर्याप्त भोजन था।
                  लोहे और पीतल की जंजीरों से बाँधकर
                    मैदान की घास पर छोड़ दो ।
 जंगली जानवर उसके
 े
 नीच शरण पाते  और आकाश
 के पक्षी उसकी डालियों पर    इसकी पत्तियों को तोड़
 बसेरा करते थे  इससे हर एक    दो और फलों को बिखेर दो  इसके
                े
 प्राणी का जीवन निर्वाह    नीच बसेरा करने वाले जानवरों
 होता था।    को भगा दो और डालियों पर बैठने
               वाले पक्षियों को उड़ा दो























                                                                           उसे आसमान की ओस से भीगने
                                                                         दो और उसे पृथ्वी के पेड़ पौधों के
                                                                          बीच जानवरों के साथ रहने दो।

                                                                           उसका मनुष्य का मन बदलकर
                                                                          एक जानवर के समान मन दिया जाये
                                                                         और यह सात वर्षों तक उस पर बीते।






















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