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तुम पृथ्वी क े
नमक हो! परन्तु यिद नमक अपना नमकीनपन खो देता है,
तो वह िफर कैसे नमकीन िकया जा सकता वह नह� हो सकता! िफर वह बाहर फ�का
है?
जाएगा और मनुष्य� के पैर� तले र�दा
जाएगा।
तुम जगत की ज्योित
हो!
और तुम ज्योित के साथ क्या करते हो? तुम उसे वहाँ
रखते हो जहाँ से वह चमक सके और उसके
आसपास के लोग� को �काश दे।
और इस तरह से, तुम्हारा �काश मनुष्य� के सामने
चमके, तािक लोग स्वगर् म� िवराजमान तुम्हारे िपता
की मिहमा कर सक�।
यह न समझो, िक म� �वस्था या भिवष्य��ा�
की पुस्तक� को लोप करने आया �ँ!
म� नह� आया �ँ ...
म� उन्ह� पूरा
करने आया �ँ!
म�ी 5:13-17
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