Page 31 - HINDI_SB55_Acts3
P. 31

ु
        तीतस यु�ुस!
                                                                        ु
        �ा तू घर पर                                                   पौलस!
           है?
                                                                            �
                                                                     तू अपनी प्राथना की
                                                                             े
                                                                     चादर के  नीच र�गत  े
                                                                         ै
                                                                     �ए ततया की तरह
                                                                       िदख रहा है।






















          यह
       आराधनालय   ... िजस पिवत्र शा�
       का शासक,   को वह िसखाता है
            ु
                    े
        िक्र�स!  उसक िलए उसन  े
                   े
                अपन मन के  �ार को
                    ु
                 िब�ल बंद कर
                   िदया है!









                                                                          शाऊल नामक युवा
                                                                               ं
                                                                           क�रपथी की तरह
                                                                                  े
                                                                                     े
                                                                         लगता है, िजसक बार म�
                                                                            े
                                                                          म�न एक बार सुना था।




















                                                                                           29 29
   26   27   28   29   30   31   32   33   34   35   36