Page 78 - Magazine 2018-19
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BSGS Panorama

               Article by Students and Teachers

               गंगा दषू ण                                                             ‘ श क’

देव नद गगं ा ने जहाँ जीवनदा यनी के प मे भारत को                                  कु छ चार बरस क ह थी म
धन-धा य से स प न बनाया है,वह गगं ा माता के                                         जब पहल बार कू ल गई
                                                                                    कसी ने मेरा हाथ थामा
 प म गगं ा क पावन धारा ने देशवा शय के दय म                                        लगा क जैसे माँ आ गई,
मधरु ता तथा सरसता का सचं ार कया है।प ततपावनी गंगा                                         या होते ह गु
के जल के दू षत होने के बनु याद कारण तो यह है क                                     उस दन मने जाना था ,
भारत के ाय: सभी मुख नगर गगं ा तट पर और उसके                                         परू े मन, वचन कम से
आस –पास बसे हुए है। उन नगर म आबाद का दवाब बहुत
बढ़ गया है।वहाँ से मल –मू और गंदे पानी क नकासी क                               उनको अपना भगवान माना था।
कोई सुचा यव था न होने के कारण उधर बनाए गए                                           गु ह तो वह बाती ह
छोटे-बड़े सब गदं े नाल के मा यम से बहकर वह गंगा
नद म आ मलता है।प रणाम व प कभी खराब न होने                                       खदु जलकर काश फै लाते ह
वाला जल आज बरु तरह से दू षत होकर रह गया                                             अपनी मेधा के बल पर
है। वगत वष म गगं ाजल का दषू ण समा त करने के लए
एक योजना बनाई गई थी। योजना के अतं गत दो काय                                      छा का भ व य बनाते ह।
मु य प से करने का ावधान कया गया।                                                      या है हमार गलती ,
गगं ा नद का आगमन मानव के क याण के लए कया
गया था। पर हम मानव जा त ने इसका अपमान कर इसे                                     उससे हम अवगत कराते ह।
दू षत और अ व छ कर दया। आने वाल पीढ़ के लए                                       सधु ार करने का एक मौका देते
गंगा नद को बचाना बहुत ज र है। इस काय को करने के
लए सफ भारत सरकार क ह ं िज़ मेदार नह ं बनती                                         फर वयं भी उसे बताते है।
बि क भारत के हर एक नाग रक क है।                                               आ म व वास का एक द प जलाते
“गगं ा नद है एक वरदान,
अ व छ कर मत करो उसका अपमान।“                                                     मुि कल मे साथ नभाते ह।
“जय ह द ,जय भारत”                                                                 तमु सबकु छ कर सकती हो

                                              नहे ल शमा                            हर बार यह बतलाते ह।
                                                VI अ                            नमन करती हूँ म उन सबको

                                                                          77      कु छ लायक मुझे बनाया है
                                                                                   म कौन हूँ और या हूँ ,
                                                                                मेरा मुझसे प रचय कराया है।

                                                                                                ानवी शखा, 9 सी
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