Page 79 - Magazine 2018-19
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BSGS Panorama

               Article by Students and Teachers

               श ा का मह व                                                पहले और अब

 बेहतर श ा सभी के लए जीवन म आगे बढ़ने और एक                                           या खूब था
   यि त के यि त व के नमाण म मदद करती है। कू ल                                    पहले का समय
    श ा सभी के जीवन म महान भू मका नभाती है। परू े                               एक होता था राजा
   श ा तं को तीन भाग म बाँटा गया है जसै े; ाथ मक                                बाक उसक जा
   श ा, म य मक श ा और उ च मा य मक श ा।सभी                                         सूय क करण
   श ा के भाग आपना एक वशेष मह व और लाभ रखते
                                                                                   दौड़ता हरण
ह। ाथ मक श ा व या थय को आधार दान करती है,जो                                         ठं डी हवा म
जीवनभर मदद करती है,मा य मक श ा आगे क पढ़ाई का                                     इतराती च ड़याँ
 रा ता है और उ च मा य मक श ा पूरे जीवन म भ व य                           खेत मे काम करते कसान
म आगे बढ़ने का रा ता है।हमार अ छ और बुर श ा यह                           कहते थे उ हे अ नदाता ,इंसान
नधा रत करती है क हम भ व य म कस कार के यि त                                      कु ती खेलते ब चे
 बनेगे।परू श ण या के दौरान ा त कया गया ान                                   म ती म झूमते यौवन,
                                                                        मं दर म भु क पूजती औरत
   हम अभी और येक यि त को अपने जीवन के त                                        उ हे सजाते पजु ार
आ म नभर बनाता है। यह जीवन म बेहतर संभावनाओं को                            मौसम का आनदं लेते बजु गु
                                                                   अ ज क आ ा का पालन करते अनजु
   ा त करने के अवसर के लए व भ न दरवाजे खोलती है                       सब मलकर बनाते थे एक प रवार
  िजससे कै रयर के वकास को बढ़ावा देने के लए सरकार                       कसी को न था वयं पर अहंकार
                                                                       एक दसू रे का आदर और स मान
    वारा बहुत से जाग कता अ भयान चलाए जा रहे है।यह                         यह था सभी का अ भमान।
 समाज म सभी यि तय म समानता क भावना लाती है                                  आज....आज न वो महल
                                                                       न कोई है राजा, न कोई है जा
    और देश के वकास और वृ को भी बढ़ावा देती है।                                 न वो सूय क करण
                                                                       अपने भी बन के रह जाते सपने
                                                 नेहा पलक, VIII अ        पं छय क चहचहाहट तो दरू
                                                                          एक गौरैया भी नह ं दखती
                       म                                                   बजु गु को न मलता अब
                                                                     यगु से मलने वाला उनका स मान
                     बन सफर, बन मंिजल का                                    आ मह या करते कसान
                                                                    न मदद करता अब उनक कोई इंसान
                    एक रा ता होना चाहता हूँ।                       बदलते समय के साथ बदल गया इंसान
                      कह ं दरू कसी जंगल म                          अब ज द ह मटा अपने अि त व को
                                                                          वो खो देगा अपनी पहचान।
                     हरा द रया होना चाहता हूँ।
                    एक िज़ंदगी होना चाहता हूँ,                                         अनु का राज (IX सी)
                    बना र त और रवाज क ।

                       दरू आसमान से गरत,े

                  झरने म कह ं खोना चाहता हूँ।
                   म आज “म” होना चाहता हूँ।

                                            ु त रानी, VIII अ

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