Page 85 - Magazine 2018-19
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BSGS Panorama

               Article by Students and Teachers

          लोक:                                                        माँ

          न ह काश च णम प जातु त ट यकमकृ त।                    माँ और माँ का यार नराला
                                                                 उसने ह है मुझे सभं ाला
          कायते ावश: कम सव: कृ तजैगुण :।।                         मेर म मी बड़ी यार
                                                                 मेर म मी बड़ी नराल
अथ: येक यि त को कृ त से अिजत गणु के अनसु ार ववश                   या म उनक बात बताऊँ
होकर कम करना पड़ता है अत: कोई भी एक णभर के लए भी
                                                             सोचँ!ू उ ह कै से म जान पाऊँ ।।
बना कम कए नह ं रह सकता।                                          सुबह सवेरे मुझे जगाती

ता पय: यह देहधार जीवन का न नह ं है अ पतु आ मा का               कृ णा कह कर मुझे बलु ाती
यह वभाव है क वह सदैव स य रहता है । आ मा क                        ज द से तयै ार म होता

अनपु ि थ त म भौ तक शर र हल भी नह ं सकता। यह शर र              उसके कारण कू ल जा पाता
                                                                कू ल से आते ह खुश होता
मतृ -वाहन के समान है,जो आ मा वारा चा लत होता है य क
आ मा सदैव ग तशील (स य) रहती है और वह एक ण के                   जब म मी का चहे रा देखता
                                                              पौि टक भोजन मुझे खलाती
लए भी नह ं क सकती । अत: आ मा को कृ ण भावनामतृ के              गहृ काय भी पूरा करवाती।।
स कम म वतृ रखना चा हए अ यथा वह माया वारा शा सत                माँ और माँ का यार नराला
काय म वतृ होता रहेगी।माया के ससं ग म आकर आ मा                  पर म करता गड़बड़ घोटाला
                                                               लुटाती मुझपर अ धक यार
भौ तक गणु ा त कर लेती है और आ मा को ऐसे आकषण से
शु करने के लए यह आव यक है क शा वारा आ द य                        करती मुझे अ धक दलु ार
कम म इसे सलं न रखा जाए।                                            मेर म मी मेर जान
                                                                  रखती मेर पूरा यान
क तु य द आ मा कृ णभावनामतृ के अपने वाभा वक कम म
नरत रहती है, तो वह जो भी करती है उसके लए क याण द              माँ और माँ का यार नराला
                                                                उसने ह है मुझे सभं ाला।।
होता है।                 रया सेन, VII सी
                                                                                  सं ीता ब वास
          िजनक माँ नह ं होती                                                           VIII ब

          िजन क माँ नह ं,वह खाने क मेज पर
   ठा नह ं करते और अगर ठे तो कोई मनाता नह ं।
  िजनक कोई माँ नह ं होती ,उनको कोई बताता नह ं
  क चादँ पर चरखा काटनेवाल बु ढ़या से उनका या

                             र ता है?
िजनक माँ नह ं होती ,घर से नकल तो जमाने क धूप

                    के बचने के लए उ ह
            दआु ओं क छतर मौजूद नह ं होती।
           िजनक माँ नह ं होती देर से आने पर
        उनको घर का दरवाजा खुला नह ं मलता।

                                            रया सेन, VII सी

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