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कPवता या स¼यता क> इस या6ा म हम बुW को हg, उनके संशय हg, उनके सवाल हg, उनका सच है-
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भात का Sयोता दती आपाल! #मलती ह और याद और यह पूर! बातचीत ऐसी बीहड़ 6ी भाषा के
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करती ह जो बुW न कहा था, ‘रह जाएगी कkणा, उपमान' और 5बंब' से भर! है 9क जैसे हम पुराने
रह जाएगी मै6ी, बाक> सब ढह जाएगा।‘ ले9कन घर क> रसोई म7, उसके ओसारे म7, उसके आंगन म7
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&या रहा और &या ढहा? रहन और ढहन क बीच खड़े हg और अदहन चढ़ाती, सूप फटकारती, धान
न जान &या-&या सहती-कहती और बांटती थेKरय' सुखाती ि 6य' क> बातचीत सुन रहे हg।
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क> एक पूर! ब ती ह जो _ान और कkणा क जल
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इस बातचीत म िजतनी कPवता ह, उतना ह! उसम
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स कव%य6ी को और उसक सहचर पाठक को
बहत गहर धंसा हआ एक स¼यता Pवमश भी ह जो
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सींचती चलती ह। तृMणा थेर!, भाषा थेर!, मृ%त
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याद 1दलाता ह 9क वच वशाल! स?ताओं और
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थेर!, सरला थेर!, मु&ता थेर!, िजजीPवषा थेर! जैसी
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समूह' क #लLखत और +चाKरत इ%तहास क Pवराट
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थेKरयां इ%तहास क पKरपा`व म चल रह जगत क
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राजपथ क समानांतर स¼यता क> एक छोट! सी
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एक Pवराट नाटक म मंच पर आती ह और अपन
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पगडंडी ि 6य' क> पदचाप' स भी बनी ह। इस
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1ह स क अनुभव, अपनी यातनाए, अपन दुख और
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पगडंडी क दोन' तरफ सहज कर रखे गए दुख' क>
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उJमीद क ु छ इस तरह साझा करती ह जैस ि 6यां
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झड़बेKरयां ह, उनक> खऱ'च खाकर भी %नकाल गए
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ह! कर सकती हg। इन ि 6य' क बीच ढाई हज़ार
सुख' क> फ#लयां ह और राग-Pवराग, %न संगता-
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साल का फ़ासला जैस नज़र नह!ं आता और अगर
असंगता और संलनता क तार' पर सूखती
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आता ह तो यह! याद 1दलाता ह 9क समय क
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अनUगनत याद भी हg। ऐसी ह! पगडंZडय' स
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आरपार जाता, स1दय' और सह¿ािhदय' स लंबा
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%नकलती कव%य6ी अचानक $ां%त चौक पर पहच
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एक धागा ह जो इन ि 6य' को बांध रखता ह। ‘मg
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जाती ह और बताती ह- ‘आज मg इ%तहास स टकरा
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आ1दम भूख ह बेट!, मुझे पहचान रह! हो? /
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गई / ले9कन वह मुझको पहचान ह! न पाया। /
दु#भ म चूnहा / फ़क>र क> एक आंख सा धंसा /
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भूल चुका था मुझको पूरा वह / भूल चुका था 9क
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जांचता ह गौर स मुझको, हसता ह! / और अ¹हास
मg उसक> ह! क ा म थी।‘
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क> तरह / फल जाती ह मg हर तरफ़’ यह तृMणा
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थेर! कहती ह और सुनन-#लखन वाल! बताती ह कPवता यहां दरअसल ख़?म नह!ं, शुd होती है-
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9क ‘मg आपको जानती ह मां।‘ और वह सम या भी जो अना#मका का अनायास
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अनगढ़पन पैदा करता ह। दरअसल अना#मका क
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यह बतकह! जैस पूर! 9कताब म पसर! हई ह।
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रचना संसार म परपरा का यह महासागर बहत बड़ा
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काल क आरपार जाती थेKरयां बात कर रह! ह-
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ह, ले9कन इस महासागर म आधु%नकता क छोट- े
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अपन स, #लखन वाल! स, बुW स- उनक> #शकायत
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छोट टापू नह!ं, बड़े-बड़े महा|वीप तैरते ह- अतीत
मई – जुलाई 107 लोक ह ता र