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P. 11

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                                                                                       7
               इतनी  समझदार  नह!  थी  ले9कन  धीर-धीर  मg        ह।  हालां9क  दु%नया  म  और  भी  कई  लेखक-
                                                                 ु
                                                                                                         7
                                                                                         े
                                                                        ं
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               जानन लगी 9क यह &या था। वह  तो बस मदद             लेLखकाए ऐसी  रह!ं िजSह'न  अपन जीवन म  दर!
               करती थी, सबका अfछा करती थी ले9कन 9फर भी          स  #लखना  शुd  9कया  और  अपना  एक   थान
                                                                  े
               उसक>  बदनामी  ह!  होती  थी।  उस   6ी  पर  जहर    बनाया। मेरा सवाल ह 9क तीन बे1टय' क> मां और
                                                                                   ै
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               दन का, ह?या करन का इnजाम था और पूरा गांव         एक  गृ1हणी  क  उ?तरदा%य?व  %नभान  क  साथ
                                                                              े
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               उस  अपराधी  मानता  था  ले9कन  मgन  ऐसा  कभी      #लखन का अनुभव कसा था? आप सारा 1दन क>
                                                                                   ै
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                                                            7
                                                                                         े
               नह!ं माना और ऐसा भी नह!ं ह 9क मg इस उŒ म         आपाधापी  क  ख?म  होन  क  बाद  #लखती  थी,  या
                                                                           े
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               पKरप&व  होकर  उसको  %नदष  मानन  लगी  ह,  मg     सुबह जnद! उठकर? य +बंधन कस 9कया?
                                                                                                े
                                                         ू
               छ ु टपन  स  ह!  उस  %नदष  मानती  थी।  मेरा  मन
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                                                                                                    े
                                                                           े
                                                                                                       े
                                                                मै3यी  –  दखी  मीना ी,  घर  संभालन  क  #लए
                                            े
               मानता  ह!  नह!ं  था  9क  उSह'न  ऐसा  9कया  होगा,
                                                                         े
                                                                      े
                                                                #लखन  क  #लए  कोई  +बंधन  नह!ं  हआ  करता।
                                                                                                   ु
               &य'9क उनक> +क ृ %त ऐसी थी ह! नह!ं। जब तक
                                                                कलाओं  क  #लए  जैस  #लखना  हआ,  प1टंग  करना
                                                                                   े
                                                                         े
                                                                                                   7
                                                                                             ु
               उनक साथ कोई अ?याचार नह!ं हआ होगा, उSह'न
                                                            े
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                                                                हआ,  हम  संगीत  सीखते  ह  तब  अंदर  स  एक
                                                                                          g
                                                                 ु
                                                     े
               कोई 1हंसक कदम नह!ं उठाया होगा। मgन तब भी
                                                                               ै
                                                                आवाज़  आती  ह  9क  हां  हम  यह  कर  सकते  हg।
                                        े
                                                      े
               नह!ं  माना  और  9फर  मgन  अपनी  सबस  पहल!
                                                                    े
                                                                उसक  #लए  +बंधन  क>  जdरत  नह!ं  पड़ती।
                                                  े
               कहानी उसी  6ी  पर #लखी और मgन  डर-डर कर
                                                                पKरि थ%तयां  जdर  ऐसी  होती  ह  जो  kकावट
                                                                                                g
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                                                       7
               बड़े संकोच क साथ साyता1हक 1हंदु तान म छपन
                                                                        g
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                                                                                                             g
                                                                डालती ह, Dयवधान पैदा करती ह, रोक सकती ह
               क #लए भेज द! और वह कहानी छप भी गई। तब
                 े
                                                                                                        ै
                                                                पर अंतम न स जो जोश और चेतना आती ह, वह!
                                                                             े
                                         ं
                                                   ं
               मुझे लगा 9क मg अगर #लखू और बताऊ 9क &या
                                                                                            ै
                                                                इन  बंधन' को अलग करती ह और हम kकावट'
               हआ  ओर  &या  हो  जाता  ह,  अगर  मg  इसक>
                                           ै
                ु
                                                                                                             g
                                                                  े
                                                                स आग बढ़ते जाते हg। बहत सी ि 6यां कहती ह
                                                                       े
                                                                                        ु
                          ं
                                               ं
               Dया{या कd, जनता क सामन रखू तो शायद यह
                                    े
                                           े
                                                                        7
                                                                9क  उSह  बहत  संघष   करना  पड़ा,  लड़ाई  लड़नी
                                                                            ु
               कहानी  नह!ं  बिnक  एक   6ी  क>  6ासद!  क>
                                                                               7
                                                                        े
                                                                पड़ी। मेर घर म भी बहत Pवरोध हआ। ऐसा नह!ं
                                                                                                ु
                                                                                      ु
               #शना{त  बनेगी।  खैर  यह  कहानी  छप  गई  और
                                                                                             े
                                                                ह 9क मg यह सब बड़े आराम स कर पाई, आराम
                                                                 ै
               साyता1हक 1हंदु तान म उस कहानी क साथ एक
                                                  े
                                    7
                                                                  े
                                                                स  %नकल  पाई।  मेर  प%त  का  उ?तरदा%य?व  था।
                                                                                   े
                  े
               पूर  पेज  पर  एक   6ी  का  Uच6  छपा  था  और  मg
                                                                हालां9क मां न तो कभी 9कसी चीज पर रोक नह!ं
                                                                             े
                                        े
               उस  Uच6  को  छ ू -छ ू   कर  दखा  करती  थी।  मg  उस
                                                                लगाई, वह बहत दूसर  वभाव क> थीं, िजस आज
                                                                                    े
                                                                                                        े
                                                                             ु
                                   े
               कहानी स उस Uच6 स, इतना जुड़ गई थी।
                        े
                                                                           7
                                                                क> भाषा म आप जागdक कह सकती हg। ले9कन
               मीना	ी : आपन बहत दर! स #लखना शुd 9कया।           प%त  तो  प%त  होते  ह,  उनको  अपना  अUधकार
                                          े
                                      े
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                                      ं
               आपक> अUधकतर रचनाए 1994 क बाद +का#शत              चा1हए। प?नी को प%त क अनुसार चलना चा1हए,
               मई – जुलाई                             11                                                                   लोक ह ता र
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